
बाड़मेर। बाड़मेर में दीक्षा एवं प्रतिष्ठा महोत्सव प्रोग्राम रविवार (16 फरवरी, 2025) को है। इसको लेकर तैयारियां चल रही है। खरतरगच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्ररजी ने बताया कि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन 16 फरवरी को है। वहीं 15 फरवरी का वरघोड़ा निकाला जाएगा। इसके अलावा 16 फरवरी को 5 युवा छोटी उम्र में अपने सांसारिक जीवन को त्यागकर दीक्षा लेंगे। यह सभी बाड़मेर जिले के निवासी है।आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्रर ने बताया- बाड़मेर नगर में अनूठा आयोजन किया जा रहा है। दो बड़े प्रोग्राम होंगे। एक मंदिर बना है, जिसमें परमात्मा विराजमान होंगे और उनकी प्रतिष्ठा होगी।
दूसरा प्रोग्राम में 5 मुमुक्षु युवा संसार के सारे सुखों का त्याग करके साधु जीवन स्वीकार करने जा रहे है। यह दोनों अद्भुत प्रोग्राम है। परमात्मा की प्रतिमा पाषाण की बनी हुई है। प्राण प्रतिष्ठा करनी है। उसका प्रोग्राम चल रहा है। हमारे शास्त्रों के अनुसार इस प्रकार की प्राण-प्रतिष्ठा होती है, चाहे वो जैन धर्म, सनातन धर्म, बौद्ध धर्म सभी धर्मों में मंदिर बनते है। मंदिरों में प्राण-प्रतिष्ठाएं की जाती है। इसका साक्षात प्रमाण हमें नजर भी आता है। 16 फरवरी को परमात्मा की प्रतिष्ठा होगी। इसमें पंच कल्याणकों को आयोजन किया जाता है। 15 फरवरी को भव्य वर घोड़ा निकाला जाएगा। अगले दिन 16 फरवरी को प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन होगा।
5 मुमुक्षु की दीक्षा होगी
आचार्य ने बताया कि 16 फरवरी को 5 मुमुक्षु की कुशल वाटिका के परिसर में दीक्षा सम्पन्न होगी। इस छोटी और युवा उम्र में संसार की सार्थकता को समझना और आत्मा के महत्व को समझना है। जो व्यक्ति आत्मा की महत्ता को समझता है, वहीं व्यक्ति संसार का त्याग कर पात है। अनंतकाल से हमारी आत्मा भटक रही है। हम अपनी आत्मा का कल्याण कैसे करें। आत्मा का कल्याण केवल केवल धर्म, भक्ति और ध्यान के मार्ग पर चलने से होता है। साधु जीवन ध्यान, भक्ति का मार्ग है। इसमें न तो कोई अन्य संसारिक जीवन का प्रवेश होता है। साधु केवल सभी सांसारिक सुखों को ध्यान करते हुए केवल केवल अपनी आत्मा में लीन होते है।
सभी मुमुक्षु बाड़मेर इलाके केआचार्य ने मीडिया को बताया कि पांचों मुमुक्षु बाड़मेर इलाके के है। इन्होंने साधु संतो के साथ में रहकर उन्होंने अभ्यास किया है। अपने अन्तर आत्मा में सदृढ निर्णय किया है कि हमें इस संसार का ध्यान करना है। दीक्षा लेना है। दीक्षा तभी होती है उनके माता-पिता और परिवार जन जिन्होंने उनका पालन किया। वो जब दीक्षा की अनुमति प्रदान करते है, उसके बाद वह दीक्षा प्रदान की जाती है। हमारे मुमुक्षु अक्षय मालू, भावना संखलेचा, आरती बोथरा, दीक्षा बोथरा, साक्षी सिंघवी यह पांच मुमुक्षों को उनके परिवारजनों ने दीक्षा की अनुमति प्रदान की है। पहले उन्होंने अपने स्तर पर परीक्षा ली कि मेरी संतान कष्ट और कठोर जीवन यापन कर पाएंगे या नहीं। उन्होंने अपने ममत्व का त्याग करके अनुमति दी। इसके आधार पर 16 फरवरी को 9 बजे कुशल वाटिका भागवती दीक्षा का प्रोग्राम शुरू होगा।
रिपोर्ट ठाकराराम मेघवाल