
भीलवाडा (Bhilwara) मेजा बाँध इस बार पानी से लबालब भरा हुआ है और सिंचाई के लिए प्रशासन ने नहरों में पानी छोड़ा है। लेकिन स्थानीय किसानों का कहना है कि नहरें जर्जर हालत में हैं और उनमें जमा गंदगी और कचरा पानी के खेतों तक पहुँचने में बाधा डाल रहे हैं। पंचवटी और राधेनगर से निकलने वाली नहरें पूरी तरह से कचरे और घास-फूस से भरी हुई हैं। कई जगह नहरों की दीवारें टूटी हुई हैं और रिसाव हो रहा है। किसानों का कहना है कि जब नहरें ही साफ नहीं हैं, तो पानी खेतों तक पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाएगा। बड़ी हरणी निवासी किसान सोहनलाल तेली ने कहा, “सरकार कहती है सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी छोड़ा गया है, लेकिन नहरों की सफाई नहीं करवाई गई। ऐसे में हमें क्या फायदा होगा? पानी रास्ते में ही रिसकर या गंदगी में फंसकर रह जाएगा।” स्थानीय किसानों ने बताया कि कई बार नहरों की मरम्मत और सफाई के लिए विभाग को अवगत कराया गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नहरों के किनारे झाड़ियाँ उग आई हैं, जिससे निगरानी और सफाई कार्य करना कठिन हो गया है। पानी छोड़ने के निर्णय पर उठ रहे सवाल कृषक संगठनों का कहना है कि जब तक नहरों की सफाई पूरी नहीं होती, तब तक पानी छोड़ना व्यर्थ है। यह न केवल पानी की बर्बादी है, बल्कि किसानों के साथ अन्याय समान है। उन्होंने मांग की है कि नहरों की तत्काल सफाई और मरम्मत की जाए ताकि टेल तक पानी पहुँच सके और रबी फसल की बुवाई समय पर हो सके। ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी अपील की है कि वे नहरों की स्थिति का स्थलीय निरीक्षण कर विभाग को आवश्यक निर्देश दें। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल
