सिलदर। राजपुरोहित समाज सिलदर की ओर से दो दिवसीय दोलिया महोत्सव का आयोजन हर्षोल्लास से मनाया गया। यह कार्यक्रम 45 वर्षों के बाद राजपुरोहित समाज की मातृ शक्ति ने सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक परम्पराओं व रीति रिवाज का अनुसरण करते हुए मनाया। इसके सफल आयोजन में राजपुरोहित समाज सिलदर की समस्त मातृशक्ति अलावा मेरमांडवाडा, हालीवाडा, आमलारी एवं सिरोडक़ी की सैकड़ों माता बहनों ने भाग लिया।
महोत्सव के पहले दिन
सभी महिलाओं ने उपवास रखो। महिलाओं ने सवेरे स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना कर आरती के बाद भगवान को प्रसादी का भोग लगाया गया। शाम को मंगलगीत एवं पारंपरिक नृत्य किया। सिलदर गांव में अन्य गांव से आई सभी मातृ शक्ति का सामैया कर स्वागत किया। कार्यक्रम के लिए भव्य पांडाल सजाया गया। जिसमें करीब 4000 लोगों के बैठने व भोजन की सुविधा की गई। समारोह के दूसरे दिन रविधाम के गादीपति संत सत्यानंद महाराज के सानिध्य में कार्यक्रम हुआ। महाराज ने समाज को धर्म-कर्म के साथ मातृ शक्ति का महत्व व समाज में संत और गुरु की भूमिका व महत्व पर प्रकाश डालते जानकारी दी। इसके बाद प्रसादी का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने सामुहिक रूप से भोजन प्रसादी में सहयोग किया।
एक परिधान में दिखे युवा
महोत्सव के सफल आयोजन को लेकर सिलदर के युवाओं में विशेष उत्साह दिखा। गांव के सभी पुरोहित समाज के लोगों ने एक परिधान में सजधज कर आयोजन को सफल बनानें सहयोग दिया।
पांच गांव के अलग परिधान
भव्य आयोजन को सफल बनाने की मेजबानी सिलदर गांव को समर्पित थी। इसके अलावा चार मेरमांडवाडा, हालीवाडा, आमलारी एवं सिरोडक़ी की महिलाएं इस महोत्सव में अलग अलग परिधानों में सजधज कर शामिल हुई।
डोलिया महोत्सव सैकड़ों वर्ष पुरानी
जानकारी के मुताबिक, डोलिया महोत्सव की परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। ये महोसव भगवान् विष्णु को समर्पित है। डोलिया महोत्सव किस गांव में होगा वो 4 वर्ष साल पहले तय किया जाता है। इसके बाद गांव की महिलाएं तय हुए गांव में जाकर मंगल गीत गाती है और एक साथ पारंपरिक नृत्य भी करती है।