
भीलवाड़ा (Bhilwara) श्री रामधाम रामायण मंडल ट्रस्ट की ओर से रामधाम में चल रहे चातुर्मास प्रवचन में तेजा दशमी के पावन पर्व पर स्वामी अच्युतानंद (Swami Achyutananda) ने अपने प्रवचन में लोकदेवता वीर तेजाजी के जीवन और उनके बलिदान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तेजाजी केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि धर्म और सत्य के प्रतीक थे। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई और वचनबद्धता के लिए किसी भी हद तक जाना चाहिए। स्वामी ने कहा, ष्तेजाजी ने अपने वचन को निभाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। जब नाग ने उन्हें डंसना चाहा, तो उन्होंने अपनी जीभ पर डंसने दिया। क्योंकि उनके शरीर पर एक भी अंग ऐसा नहीं था। जिस पर चोट न लगी हो। उन्होंने बताया कि यह घटना केवल एक कहानी नहीं। बल्कि त्याग और बलिदान की एक महान शिक्षा है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे तेजाजी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। आजकल युवा छोटी-छोटी बातों पर हार मान जाते हैं। तेजाजी का जीवन हमें सिखाता है, कि जीवन में संघर्षों से भागना नहीं, बल्कि उनका सामना करना चाहिए। सच्ची विजय धन या पद से नहीं, बल्कि चरित्र और नैतिक मूल्यों के पालन से मिलती है। स्वामी ने कहा कि तेजा दशमी का पर्व हमें यह याद दिलाता है कि धर्म की रक्षा और समाज की भलाई के लिए हमें हमेशा तत्पर रहना चाहिए। ट्रस्ट के प्रवक्ता गोविन्द प्रसाद सोडानी ने बताया की धर्म सभा के दौरान सभी भक्तों से गायों को लापसी खिलाने का आग्रह किया गया। साथ ही, यह भी घोषणा की गई कि 7 सितंबर के बाद से स्वामी अच्युतानंद रामधाम में वेद-वेदांत की विशेष कक्षाएं भी लेंगे, जिससे जिज्ञासुओं को गहन ज्ञान प्राप्त हो सकेगा। चातुर्मास के इस आयोजन में जगदीश लाहोटी, शिव जोशी, हेमंत मानसिंहका और वीणा मानसिंहका सहित कई सदस्य अपना सहयोग दे रहे हैं। रामधाम में प्रतिदिन पक्षियों को दाना पानी, सुबह रामचरितमानस पर मासिक पारायण पाठ, गीता का शुद्ध उच्चारण कराया जा रहा है।
रिपोर्ट -पंकज पोरवाल
