
जसवंतपुरा। जालौर जिले के जसवंतपुरा उपखंड क्षेत्र के चेकला गांव में स्थित देवेश्वर महादेव (दशावतार) मंदिर आस्था और प्राकृतिक चमत्कार का अद्भुत संगम है। अरावली की पहाड़ियों में बसे इस प्राचीन मंदिर में प्राकृतिक रूप से जलधारा बहती है, जिसे श्रद्धालु मां गंगा का स्वरूप मानते हैं। इस जलधारा को द्वारकाधीश और अन्य पवित्र स्थलों के समान पवित्र माना जाता है। श्रद्धालु विशेष रूप से श्रावण मास और शुभ अवसरों पर यहां अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।
वर्षों से यह स्थान न केवल शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता भी भक्तों को आकर्षित करती है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, इस मंदिर की दस मुख वाली शिव प्रतिमा अद्वितीय है, और यहां की पूजा-अर्चना से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर पूजा करने से समस्त दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
यह है चेकला गांव का इतिहास
राजस्थान के चेकला गांव और आसपास के क्षेत्र में एक अनूठी धार्मिक मान्यता प्रचलित है, जो द्वारकाधीश मंदिर और देवेश्वर महादेव से जुड़ी हुई है। मंदिर अरावली पर्वतमाला के गोद में बना है जहां दस मुख वाली मूर्ति के रूप में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती हैं।
ठाकुर धनराज सिंह देवल की भक्ति और चमत्कार
देवल परिवार के ठाकुर धनराज सिंह देवल पुत्र प्राप्ति की मनोकामना लेकर सात बार द्वारकाधीश मंदिर पहुंचे। सातवीं बार स्वयं भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए और धनराज सिंह को संदेश दिया कि अब उन्हें बार-बार द्वारका आने की जरूरत नहीं है। उन्हें कहा गया कि अपने पास मौजूद लकड़ी का डंडा, रुमाल गंगा में प्रवाहित कर दें। यदि यह उनके गांव में स्थित देवेश्वर महादेव दशावतार मंदिर के समीप बह रही गंगा में मिल जाए, तो उनकी यात्रा पूरी मानी जाएगी। देवेश्वर महादेव मंदिर के पास बह रही गंगा में दस मुख वाली मूर्ति व वस्तुएं मिल गईं, और इसके कुछ समय बाद ही ठाकुर धनराज सिंह को भूतसिंह नामक पुत्र की प्राप्ति हुई।
पांच गांवों की अनोखी मान्यता
तब से यह मान्यता बन गई कि चेकला, जाविया, गोलाणा, वणधर व कोटडा पांच गांवों के सतीश कोम के लोग द्वारकाधीश नहीं जाते। यह विश्वास किया जाता है कि यदि कोई श्रद्धालु द्वारका जाता है, तो उसे किसी न किसी प्रकार की हानि हो सकती है।
शिवरात्रि महोत्सव का भव्य आयोजन
चेकला गांव की स्थापना शेखाजी देवल ने की थी। जिससे चेकला गांव नाम हुआ। यहां देवेश्वर महादेव मंदिर विशेष मान्यता रखता है, जहां भगवान शिव को समर्पित दशावतार की मूर्ति स्थापित है। पिछले दस वर्षों से यहां सोशल मीडिया के माध्यम से शिवरात्रि महोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह मान्यता और धार्मिक परंपरा आज भी क्षेत्र के लोगों के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बनी हुई है।
रिपोर्ट – महेन्द्र प्रजापत