Jaisalmer । राजस्थान के जैसलमेर जिले में गुरुवार को कजरी तीज का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं व बालिकाओं में इस पर्व को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया। सुबह से ही जैसलमेर के आराध्य देव श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर में महिलाओं, युवतियों की दर्शन करने हेतू भीड़ देखी गई दिन भर उपवास के बावजूद त्योहार के प्रति युवतियों का क्रेज देखते ही बन रहा था।
आकर्षक वेशभूषा व गहनों से सुसज्जित होकर महिलाएं दिन भर शहर के मंदिरों की तरफ जाती हुई दिखाई दी। स्थानीय महिला हर्षा मोहता ने बताया कि कजली तीज को बड़ी तीज भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इसका महत्व बहुत ज्यादा है जिसके चलते हर महिला व लड़कियां इस पर्व को मनाती है। कई नन्ही बालिकाएं भी आजकल तीज का व्रत रखती है।
मानकँवर डांगरा ने बताया कि चंद्र दर्शन से पूर्व स्थानीय मोहता पाड़ा में व्रत रखने वाली श्रीमती हर्षा,आशा,रेणु मोहता,करुणा बिसानी, अंजु सांवल, प्रेमलता खोली ने समूह में तीज माता की भगवान शिव और माता पार्वती की बात सुनी देर शाम को गड़ीसर पर तीज का मेला भरा गया सैकड़ों की तादाद में महिलाएं गड़ीसर पहुंची। रात को निकले चांद के दर्शन व विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद तीजणियों ने व्रत खोला। तीज का व्रत तीजणियां सतू खाकर खोलती है। चंद्र दर्शन के बाद प्रत्येक घर की महिलाएं एकत्र होकर आक के पत्तों पर सतू रखकर व्रत खोलती है।
इसके लिए पहले से आक के पत्ते लाए जाते हैं जिन्हें पानी से साफ कर लियाजाता है। इस व्रत में सतू के अलावा फल फ्रूट आदि भी खाया जाता है। उसके अलावा महिलाएं व्रत खोलते वक्त कुछ नहीं खाती है। तीजणियों में झूले झूलने का जबरदस्त क्रेज देखने को मिला। तीज के दिन झूले झूलने की भी परंपरा है। इस दिन महिलाएं मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, पाकों व कई घरों में लगे झूलों पर झूलती हुई दिखाई दी। झूलों की कमी के चलते शहर के कई इलाकों से महिलाएं एक दूसरे के यहां झूले झूलने पहुंची।
रिपोर्ट: कपिल डांगरा