
Barmer। थार की लोक संस्कृति में कला व कलाकारों ने सदियों से अपनी अनूठी छाप छोड़ी हैं, इसी कला को जीवित रखने के लिए रूमा देवी फाउंडेशन व ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान द्वारा शनिवार (29 मार्च 2025) से बाड़मेर के द हवेली रिसॉर्ट में दो दिवसीय वाणी उत्सव व दानजी स्मृति मारवाङ भजनी पुरस्कार समारोह का आगाज होगा। जहाँ सैकड़ो कलाकार वाणी गायन जैसी अनूठी परम्परा को एक नई पहचान देंगे साथ ही मातृशक्ति के लिए इस बार वाणी गायन के साथ हरजस गायन के लिए भी अलग से मंच लगेगा जो कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में पहली बार होगा।
हरजस गायन जो कि गाँव,ढ़ाणी व आंगन तक सीमित हैं। लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए रूमा देवी फाउंडेशन ने इस पहल के माध्यम से हुनरमंद बहनों को आगे लाने का प्रयास किया हैं। कबीर, मीरा, गोरख, दादू, डूंगरपुरी जैसे संतो की वाणीयों का आगाज शनिवार (29 मार्च 2025) दिन को दो बजे से शुरू होगा वहीं शाम को 7 बजे मुख्य कार्यक्रम प्रारम्भ होगा। रविवार (30 मार्च 2025) सुबह प्रभात सत्संग व दिन को पुरस्कार व सम्मान समारोह आयोजित होगा।
वाणी उत्सव ने वीणा बनाने वाले कारीगरों के कार्यों को नया जीवन देने का प्रयास किया हैं
थार की लोक संस्कृति में लोक गायन के प्रमुख वाद्य यंत्रों में से एक वीणा जिसका कारोबार या बनाने वाले कारीगर हाशिये पर आने लग गए थे पर रूमा देवी फाउंडेशन के द्वारा हर वर्ष वीणा उत्सव ने स्थानीय कला प्रेमियों में वीणा गायन को लेकर रुचि बढ़ाने का कार्य किया हैं ऐसे कार्यक्रमों के बाद वीणा को एक तरह से पुनर्जीवित करने का काम हुआ हैं ।
बाड़मेर के अलावा भारत भर के विभिन्न क्षेत्रों से वाणी गायक कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे
राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र से भी बड़ी तादात में आवेदन आये हैं। मध्यप्रदेश के रहने वाले अंतरराष्ट्रीय कलाकार पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया , कच्छ के प्रसिद्ध वाणी गायक मुरालाला , जैसलमेर के महेशाराम, इंदौर के राजमल मालवीय, जालौर के जोगभारती, सांचौर के सुरेश लोहार, थराद के जयराम दास, जैसे कई राष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय स्तर के वाणी गायक, राजस्थान के विभिन्न गांव देहात से आने वाले वाणी गायक वीणा उत्सव में सम्मलित हो रहे हैं।
पारंपरिक तरीके से होगी भजन प्रतियोगिता
10 वर्ष के बाल कलाकार से लेकर 80 वर्ष तक के वरिष्ठ आयु वर्ग के कलाकार एक ही मंच पर वाणी गायन की प्रस्तुति देंगे। इस आयोजन में पुरानी राग -रागनियों , सुर -ताल , और पारंपरिक भजनों की श्रंखला का अद्भुत समागम होगा। वाणी उत्सव में इस बार कुल पांच मंच प्रस्तुतियों के लिए बने हैं जिसमें पहले दिन शनिवार को तीन मंच पर कार्यक्रम होगें वहीं दूसरे दिन रविवार की सुबह व दिन को दो मंचो पर प्रस्तुतियां सुनने को मिलेगी। साथ ही कला प्रदर्शनी भी लगेगी जिसमें थार की कला व संस्कृति को प्रदर्शित किया जाएगा।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल