Rajasthan। श्री जोगणियां माताजी मंदिर शक्तिपीठ में जहा लोग अपराध छोड़ने का संकल्प लेते हैं और हथकड़ियां चढ़ाते हैं, वहा एक भक्त ने कारोबार की मन्नत पूरी होने पर 52 फीट ऊंचा त्रिशूल किया है भेंट। बता दे लोहे से बने त्रिशूल पर नौ धातु की परत चढ़ाई गई है। जिसे आमेट (राजसमंद) के कबाड़ी व्यवसायी ने डेढ़ महीने में तैयार किया है।
आपको बता दे मातेश्वरी के हाथ में स्थित त्रिशूल के तीनो शूल सत्व, रज और तम गुणों के प्रतीक हैं। मां ने इन तीनों के संतुलन से ही सृष्टि का संचालन किया था। वही सर्व प्रथम वैदिक विद्वानों और बटुकों द्वारा मंत्रोच्चार कर त्रिशूल को निर्धारित स्थल पर खड़ा किया गया। उसके पश्चात बेगू विधायक डॉक्टर सुरेश धाकड़, महंत नंदकिशोर दास महाराज, शक्तिपीठ संस्थान के अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी, श्रवण गवारिया द्वारा भूमि पूजन कर त्रिशूल की प्राण प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार पूजन कर मातेश्वरी की आरती की गई।
जिसमे निर्धारित स्थल पर त्रिशूल की विधिवत पूजा अर्चना कर परिसर में स्थापित किया गया। वही इस अवसर पर
संस्थान के कई प्रदाधिकारी, भक्तजन व क्षेत्रवासी उपस्थित थे। वही आपको बता दे राजस्थान के बेगूं (चित्तौड़गढ़) स्थित जंगल में पहाड़ी पर बने इस माता के मंदिर में 64 जोगणियां देवियों की प्रतिमाएं स्थापित है। यहां राजसमंद, कोटा, भीलवाड़ा, बूंदी और चित्तौड़गढ़ के भक्त पैदल दर्शन करने पहुंचते हैं।
वही व्यवसायी श्रवण लाल गवारिया ने बताया कि उनका मणिहार और कबाड़ का व्यवसाय है। वे हमेशा जोगणियां माताजी की पूजा करते हैं और मानते हैं कि माता ने उन्हें सब कुछ दिया है। वह अपने परिवार और गांव की समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए माताजी के दरबार में अर्जी लगाते हैं।
गांव में कोई गरीब भूखा न रहे, इस कामना को लेकर उन्होंने त्रिशूल भेंट किया है। उन्होंने बताया कि 52 फीट ऊंचा त्रिशूल लोहे से बनाया गया है, जिस पर ज्वेलर्स द्वारा अष्ट धातु (सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि) का लेप किया गया है। यह लेप इस उद्देश्य से किया गया है ताकि जादू-टोना या तंत्र-मंत्र का बुरा प्रभाव त्रिशूल पर न पड़े।
रिपोर्ट: पंकज पोरवाल