राजसमंद (Rajsamand) आजकल की युवा पीढ़ी अपनी समस्याओं को लेकर आत्महत्या की ओर ज्यादा अग्रसर हो रही है, लेकिन मौत किसी समस्या का समाधान नहीं है। युवा अपनी जिंदगी तो समाप्त कर लेते हैं, लेकिन पीछे कितनों को मार कर चले जाते हैं, यह सोचनीय विषय है। यह विचार गेगा खेड़ा भीलवाड़ा के पंडित मुकेश शास्त्री ने व्यक्त किए। वे नांदोली में आठ दिवसीय स्वर्ण कलश प्रतिष्ठा व श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में श्रद्धालुओं को आत्मदेव के प्रसंग पर उद्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि समस्याओं से घिरे व्यक्ति को जब कहीं से समाधान नहीं मिले और कुछ नजर नहीं आए तो उसे अपने गुरु की शरण में जाना चाहिए। गुरु सांत्वना देकर न सिर्फ मन को शांत करेगा, बल्कि आपकी समस्याओं का भी यथासंभव समाधान करेगा। उन्होंने कहा कि जिनके पास गुरु है वह जीवन में कभी भटक नहीं सकते और आत्महत्या भी नहीं कर सकते। आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी के प्रसंग पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिस बाग का माली नहीं होता उसे उजाड़ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिनके घर में कोई टोकने वाला नहीं होता, उनकी भी हालत ऐसी ही होती है। उन्होंने सीख देते हुए कहा कि घर में अगर कोई बड़ा आपको किसी बात पर टोके तो उसका बुरा नहीं मानना अपने अहंकार को नीचे रखना। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य का जन्म किसी ने किसी उद्देश्य से हुआ है। अपने जन्म का उद्देश्य जानना है तो आप एकांत में जाकर अपने बारे में सोचिए। उन्होंने ने कहा कि जिस भी व्यक्ति ने एकांत में जाकर स्वयं पर विचार किया है, उसने जीवन के उच्च शिखर को प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि इसीलिए आज के समय में स्वामी विवेकानंद को आदर्श माना जाता है। लोगों ने कहा कि एकांत पाकर की व्यक्ति को उसकी अदृश्य शक्ति गति प्रदान करती है, जिससे व्यक्ति गोरवान्वित होता है और यहां सिर्फ मनुष्य की योनि में ही संभव है। कथा के साथ ही प्रसंग के अनुसार उन्होंने बीच-बीच में किशोरी राधे श्याम प्यारी राधे…, सहित कई भजन सुनाए, जिन पर श्रद्धालु भाव विभोर होकर भक्ति से झूमने लगे।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
