Rajasthan की साहित्यिक धरा ने एक बार फिर फहराया राष्ट्रीय मंच पर अपना परचम

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भीलवाडा : राजस्थान (Rajasthan)की साहित्यिक धरा ने एक बार फिर राष्ट्रीय मंच पर अपना परचम फहराया है। शाहपुरा मूल के वर्तमान में भीलवाड़ा निवासरत सुप्रसिद्ध कवि और साहित्यकार योगेन्द्र शर्मा को उत्तर प्रदेश के उन्नाव में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में प्रतिष्ठित शब्दगंगा महाशिखर सम्मान से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें उनकी मौलिक छंदबद्ध रचनाओं और साहित्यिक जगत में किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि उन्नाव जैसे ऐतिहासिक और साहित्यिक नगर में पहली बार राजस्थान के किसी कवि को यह सम्मान प्रदान किया गया है, जो प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। प्रख्यात महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की पावन भूमि उन्नाव में शब्दगंगा शुद्धि अभियान संस्थान द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय साहित्यिक समारोह में देशभर के जाने-माने कवि और साहित्यकार शामिल हुए। इस अवसर पर आयोजित बीसवें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में रहे विधायक आशुतोष शुक्ल, उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी राजीव दीक्षित तथा संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट विनय दीक्षित ‘आशु’ ने कवि योगेन्द्र शर्मा को सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप उन्हें शॉल, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह तथा मानद उपाधि प्रदान की गई। समारोह के दौरान सभागार में लगातार गूंजती तालियों की गड़गड़ाहट कवि शर्मा के साहित्यिक कद और लोकप्रियता का परिचायक रही। कवि योगेन्द्र शर्मा लगातार हिंदी और राजस्थानी साहित्य के संवर्धन व प्रचार में सक्रिय रहे हैं। उनकी रचनाएँ छंदबद्ध शैली, जीवन मूल्यों, राष्ट्र व संस्कृति के प्रति भावना तथा काव्य सौंदर्य के लिए जानी जाती हैं। उनका मानना है कि भारतीय काव्य परंपरा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्म जागरण और समाज उत्थान का माध्यम है। जब तक साहित्य जीवित है, संस्कृति और राष्ट्र की आत्मा जीवित है। शब्दगंगा शुद्धि अभियान संस्थान देशभर में साहित्यिक आयोजनों तथा भाषा शुद्धि के प्रख्यात मंचों में शुमार है। संस्था का उद्देश्य भारतीय भाषाओं की गरिमा, शुद्धि और साहित्यिक परंपराओं का संरक्षण करना है। इस मंच से पूर्व में देश के कई वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया जा चुका है। बीसवें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश के विविध प्रांतों से चयनित प्रतिभावान कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। आयोजन समिति ने योगेन्द्र शर्मा को आमंत्रित करते हुए कहा था कि उनकी छंद साधना और सांस्कृतिक साहित्य साधना आज राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान के योग्य है।

गुरु को किया समर्पण

सम्मान ग्रहण करते हुए भावुक हुए कवि योगेन्द्र शर्मा ने अपने काव्य गुरु स्मृतिशेष डॉ. युगलकिशोर सुरोलिया को यह उपलब्धि समर्पित की। उन्होंने कहा कि यदि मेरे आदरणीय गुरुदेव का मार्गदर्शन और साहित्य साधना की प्रेरणा न होती तो मौलिक छंदबद्ध साहित्य की इस साधना में आज यह सम्मान प्राप्त कर पाना संभव नहीं था। यह सम्मान मेरे नहीं, मेरे गुरु की तपस्या और संस्कारों का आदर है। उन्होंने आगे कहा कि साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं, बल्कि संस्कृति और संवेदनाओं का संरक्षक भी है। कविता केवल शब्दों का संयोजन नहीं, बल्कि जीवन की संवेदना, संघर्ष और सत्य का संकल्प है।

राजस्थान के लिए गौरव का क्षण

राजस्थान के साहित्यिक जगत में इस सम्मान को बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। साहित्यकारों ने इसे प्रदेश की गौरवपूर्ण परंपरा और रचनात्मक ऊर्जा का प्रतिबिंब बताया। स्थानीय साहित्य प्रेमियों, छात्र-छात्राओं और युवा कवियों में भी इस सम्मान को लेकर उत्साह देखा गया। साहित्यिक संगठनों और विभिन्न मंचों ने कवि योगेन्द्र शर्मा को बधाइयाँ देते हुए कहा कि उनकी साहित्य साधना और छंदबद्ध कविता की परंपरा आज की नई पीढ़ी को भारतीय साहित्य की जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रही है।

स्थानीय स्तर पर खुशी की लहर

उन्नाव से लौटने के बाद प्रदेश के साहित्यिक और सामाजिक समुदायों द्वारा कवि शर्मा का स्वागत करने की तैयारी की जा रही है। क्षेत्र में उनके सम्मान को लेकर हर्ष का माहौल है। अनेक साहित्य प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर बधाइयाँ देते हुए इसे राजस्थान की साहित्यिक उपलब्धि बताया।

रिपोर्ट – पंकज पोरवाल

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