जैसलमेर ( jaisalmer) लक्ष्मीचंद सांवल आवासीय योजना में आवंटित भूखंड नहीं देने पर एक वाद जिला उपभोक्ता आयोग में प्रस्तुत किया गया जिसके बारे में जिला आयोग के रीडर मदनसिंह भाटी ने बताया कि परिवादिया कंचन पत्नी श्री महेन्द्रसिंह जैसलमेर लक्ष्मीचंद सांवल आवासीय योजना में भूखंड साइज 30 गुणा 60 फीट शारीरिक विकलांग कोटे के तहत आवेदन सं. 4243 प्रस्तुत किया गया। मुद्रित नियम व शर्तों के अन्तर्गत संपूर्ण औपचारिकताएं पूर्ण कर 7मई 2008 को फार्म जमा करवाया गया, जिसे अप्रार्थीगण ने स्वीकार किया, परन्तु लॉटरी में शामिल नहीं किया तथा प्रार्थिया को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिये बगैर आवासीय भूखंड की योजना के लाभ से वंचित कर दिया प्रार्थिया ने 11 सितंबर 2008 को जिलाधीश जैसलमेर को प्रार्थना पत्र पेश कर न्याय की मांग की, अतः प्रार्थिया को मानसिक, आर्थिक क्षति पेटे 4 लाख 50हजार रुपये परिवाद व्यय पेटे 25हजार रुपये एवं अन्य अनुतोष प्रार्थिया के पक्ष में हो दिलाने की प्रार्थना की।जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष एवं पीठासीन अधिकारी पवनकुमार ओझा एवं सदस्य नरेंद्रसिंह गढ़वाल ने उक्त प्रकरण की सुनवायी की, पत्रावली में उपस्थित दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर पाया कि इस परिवाद में परिवादिया द्वारा भूखण्ड हेतु आवेदन करना, भूखण्ड लाटरी में शामिल नहीं किया जाना अप्रार्थीगण ने स्वीकार किया है। वाद में विवाद का मुख्य कारण अप्रार्थीगण ने कथन किया है कि प्रार्थिया ने लक्ष्मीचंद सांवल आवासीय योजना के आवेदन पत्र के नियम व शर्तों के अनुसार शारिरिक विकलांग आरक्षित कोटे के भूखण्ड के तहत दस्तावेजात पेश नहीं किया जाना है परन्तु अप्रार्थीगण ने अपने कथन के समर्थन में कोई दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं की है। जबकि परिवादिया द्वारा अपने परिवाद के साथ पेश दस्तावेजात में सूचना के अधिकार में अप्रार्थीगण से प्राप्त आवेदन फार्म के साथ पेश डाक्टर द्वारा प्रमाणित विकलांग प्रमाणपत्र दिनांक 19नवम्बर 1995 की प्रति प्रदर्श 1 संलग्न की है। “प्रार्थिनी कंचन राठौड़ के द्वारा विकलांग कोटे में भूखण्ड आवंटन हेतु आवेदन किया गया था। बोर्ड द्वारा 13 भूखण्ड विकलांग कोटे हेतु निर्धारित किये गये थे परन्तु आवेदन 12 ही प्राप्त हुए अतः एक भूखण्ड बिना आवंटन के ही रह गया था। निःशक्त व्यक्ति समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी अधिनियम 1995 में भी निःशक्त व्यक्ति से ऐसे किसी व्यक्त्ति को अभिप्रेरित किया गया है तो किसी चिकित्सा प्राधिकारी द्वार प्रमाणित किसी निःशक्ता के कम से कम 40 प्रतिशत से ग्रस्त होने से माना है जिस आधार पर भी परिवादिया का आवेदन त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता। अप्रार्थीगण की सेवाओं में कमी को दर्शाता है। परिवादी का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादिया को लक्ष्मीचंद सांवल आवासीय योजना में उसके द्वारा आवेदित 30 गुणा 60 फीट का भूखण्ड शारिरिक विकलांग आरक्षण कोटे में आवंटित करे, यदि इस कॉलोनी में कोई भूखण्ड आवंटित किया जाना संभव नहीं हो तो अन्य कॉलोनी में इसी साईज का भूखण्ड निर्णय दिनांक को सरकार द्वारा भूखण्ड की निर्धारित दर पर आंवटित करे। सभी पक्षकार अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेगें। उक्त आदेश की पालना निर्णय की तिथि से 45 दिन में की जावें।
रिपोर्ट – कपिल डांगरा
