Pali की रामलीला में गूंजा संस्कृत संवाद, सीता-राम के विलाप पर रो पड़े दर्शक

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Pali की रामलीला में गूंजा संस्कृत संवाद

पाली (Pali) मंगलवार 30 सितम्बर। श्री रामलीला कमेटी की ओर से पाली में आयोजित हो रही संगीतमय रामलीला के पांचवे दिन का शुभारंभ शिव वन्दना से होता है । पर्दा उठाते ही प्रथम दृश्य में रावण सीता हरण के लिए मारीच को सहयोग करने हेतु मनाता है। इसके बाद पर्दा गिर जाता है, जब पर्दा हटता है तो मंच पर मारीच स्वर्ण मृग का रूप धारण कर पंचवटी पहुचता दिखाई देता है । सीता मृग को देखकर कहती है हे! आर्य पुत्र ऐसा स्वर्ण मृग मैंने आज तक नहीं देखा, यदि आप इसको पकड़कर लावे तो हम इससे खेलकर मन बहलाया करेंगे। सीता के आग्रह पर राम उसके पीछे जाते हैं। और इसी बीच वहां साधु वेश में छिपे बैठे रावण आकर सीता का हरण कर लेता है । इसके बाद पर्दा गिर जाता है। जब पर्दा हटता है तो सीता रावण के विमान में बैठी हुई हे! राम, हे! आर्य पुत्र, का आर्तनाद कर रही है। तभी वहां जटायु आता है उसका और रावण का युद्ध होता है, कृद्र रावण तलवार के वार से जटायु को घायल करता है जटायु के भूमि पर गिरते ही पर्दा गिर जाता है। जब पर्दा हटता है तो जटायु घायल अवस्था में तड़फता है, उधर राम लक्ष्मण हे! सीता, हे! सीता कहते हुए आते हैं, तब घायल जटायु राम को कहते है, हे! आर्य श्रेष्ठ मैने रावण को सीता का हरण कर लें जाते देखा है। मैंने उससे युद्ध भी किया लेकिन वह मुझे घायल कर विमान लेकर भाग गया। इतना कहकर जटायु वीरगति को प्राप्त होता है। तब राम लक्ष्मण दोनों मिलकर गृध्रराज का अन्तिम संस्कार करते हैं, इसके बाद पुनः पर्दा गिर जाता है। इन प्रसंगों को देखकर दर्शक भावुक हो जाते हैं उनकी आंखें नम हो जाती है । “रामकथा में वीर जटायु के साहस बलिदान एवं कर्तव्य निष्ठा का अनुपम स्थान” संवाद पूरे वातावरण को श्रद्धा से भर देता है। पुनः जब पर्दा उठता है तो एक झोपड़ी के बाहर वृद्धा तपस्विनी शबरी ध्यानावस्था बैठी है। उधर सीता की खोज करते हूंए राम लक्ष्मण हां! सीता, हां! सीता, कहते हूए आते हैं। उनकी आवाज से शबरी का ध्यान भंग होता है । जब राम लक्ष्मण उसके पास आते हैं तो शबरी कहती हैं। दशरथ पुत्र आज आप मेरी कुटीया में पधारे है इसलिए मेरे अतिथि हुए। आपको मेरा आतिथ्य सत्कार स्वीकार करना होगा। राम लक्ष्मण उसकी धर्म युक्त बात टाल नहीं सकते इसलिए तथास्तु कहकर स्वीकृति देते हैं । शबरी वहां आसन बिछाती जिस पर राम लक्ष्मण दोनों बैठते हैं। जल आदि सत्कार के बाद वह सामने बैठकर एकत्रित किये बोर खिलाने लगती है। उसमें वह बोर को चखकर कभी राम को, तो कभी लक्ष्मण को खिलाती है । दोनों भाई उनके भक्तिभाव में बंध जाते हैं । उसके बाद पर्दा गिर जाता है। इस मार्मिक प्रसंग को देखकर दर्शक वृद्धा शबरी की भक्ति, कर्तव्य और अतिथि सत्कार की मुक्त कंठ से सराहना करने लगते है। जब पर्दा हटता है तो एक पर्वत पर हनुमान बैठे दिखाई देते हैं, उधर सीता की खोज करते हुए राम-लक्ष्मण आते हैं। हनुमान से भेंट होती है, कुछ संस्कृत वार्तालाप करके परिचय प्राप्त करने के बाद हनुमान उनको सुग्रीव के पास ले जाते है जहां सबका मिलन होता है। हनुमान राम को बाली के अत्याचारों के बारे में बताते हैं, तब राम सुग्रीव के कंधे पर हाथ रखकर मित्रता का भरोसा देते हुए बाली को दंड देने का आश्वासन देते हैं। फिर पर्दा गिर जाता है।

जब पर्दा हटता है तो बाली-सुग्रीव युद्ध का मंचन दिखाई देता है। कुछ देर दोनों भाईयो में अलग-अलग दांव-पेंच में युद्ध होता है, जब राम देखते हैं कि बाली भारी पड़ रहा है तब एक तीर चलाकर बाली का अंत कर देते हैं। तभी पर्दा गिर जाता है। बाली सुग्रीव युद्ध और राम द्वारा बाली वध के प्रसंग ने दर्शक रोमांचित हो जाते है।

ये रहे मुख्य अतिथि

इस अवसर पर दर्शकों में मुख्य अतिथि राकेश भाटी (पूर्व सभापति नगर परिषद पाली), रघुनाथ सिंह राठौड़ मण्डली, पार्षद आनन्द सोलंकी, सन्तोष सिंह बाजवा, यशपाल सिंह कुंपावत, जयसिंह राजपुरोहित, भेराराम गुर्जर, रफीक चौहान तथा गोविन्द बंजारा रहे। जिन्होंने दर्शकों के साथ ज़मीन पर बैठकर रामलीला देखी। अतिथियों का रामलीला स्वागत कमेटी के उपाध्यक्ष एम.एम. बोडा, हीरालाल व्यास, लाल चन्द बिड़ला, देवीसिहं राजपुरोहित, देवीलाल पंवार, प्रकाश चौधरी, बाबूलाल कुमावत, गणेश परिहार पाली, द्वारा स्वागत पट्टीका पहनाकर परम्परागत स्वागत किया गया किया।

इन कलाकारों का योगदान

रामलीला के भव्य एवं शानदार मंचन में कलाकार जीवराज चौहान, रोहित शर्मा, गोविन्द गोयल, अंकित वैष्णव, महेन्द्र चौहान, मांगीलाल तंवर, महेन्द्र बडगोती, नवनीत रांका, जसवंत सिंह, सन्तोष वैष्णव, कंचन दासानी व जया जोशी सहित अनेक स्थानीय कलाकार अपने अभिनय से रामकथा को जीवंत कर रहे है। जिससे दर्शन भाव विभोर होकर रामकथा का रसास्वादन करते हैं।

रिपोर्ट – घेवरचन्द आर्य

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