राजसमंद (Rajsamand) जिले के समीपवर्ती गांव नौगामा में समस्त ग्राम वासियों द्वारा आयोजित हो रहे66 वे वार्षिक वीर तेजाजी खेल मंचन के दूसरे दिनकहीं मार्मिक प्रसंग हुए। खेल मंडल के मोडीराम एवं मगनलाल ने बताया की वार्षिक जागरण के दूसरे दिन की शुरुआत गणपति वंदना के साथ हुई इसके बाद तेजाजी के जीवन पर आधारित कई मार्मिक प्रसंग हुए जिसमें कलाकारों द्वारा जीवंत चित्रण कर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। पंडित जी से मुहूर्त पूछ कर तेजाजी अपने ससुराल जाते समय रास्ते में वासकराज का जलते हुए बचाने को लेकर काफी मार्मिक प्रसंग हुआ। जिसमें तेजाजी जलते हुए सांप को बचाते हैं।लेकिन सांप क्रोधित हो जाता है और कहता है कि मेरी 100 वर्ष की यानी पूरी हो रही थी। मुझे क्यों बचाया मैं अपने जीवन को यहीं समाप्त करमोक्ष प्राप्त करना चाह रहा था लेकिन मुझे बचाकर बहुत बड़ा अपराध किया है। उसके अलावा दो-तीन बदले पहले के भी बाकी थे। इसलिए मैं डसे बिना यहां से आगे नहीं जाने दूंगा इस पर तेजाजी द्वारा माफी मांग कर उनको वचन देकर ससुराल जाते हैं और ससुराल में अपने सास ससुर एवं साला जी से मिलने वाला संवाद होता है। कलाकारों द्वारा अपनी अभिनव कला से संवादो इस प्रकार से अभिनय करते हैं। जिसे देखने वाले भाव विभोर एवं मंत्रमुग्ध होकर हो जाते हैं। इस मंचन को देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांवों के दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ता है। इस दौरान शांतिलाल कुमावत मदनलाल किशनलाल जीवराज गोपीलाल डालचंद द्वारका प्रसाद बजरंगदास कपूर चंद बंसीलाल उदयलाल लक्ष्मी लाल दिनेश भरत रमेश प्रकाश सहित कई ग्रामीण उपस्थित है।
रिपोर्ट- नरेंद्र सिंह खंगारोत
