
राजसमंद (Rajsamand) माननीय सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ की पहल पर खनन क्षेत्र के विकास को बड़ी सफलता मिली है।केंद्र सरकार ने 7,280 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय योजना को मंजूरी प्रदान की है, जिससे राजसमंद सहित देश के कई प्रमुख खनन क्षेत्रों को सीधा लाभ मिलेगा। लोकसभा में 06 अगस्त 2025 को अतारांकित प्रश्न संख्या 2861 के माध्यम से सांसद ने राजस्थान विशेषकर राजसमंद जिले में रेयर अर्थ खनिज अन्वेषण, खनन गतिविधियों की वर्तमान स्थिति, निजी व सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाने, वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग तथा स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर विस्तृत मांग रखी थी।यह जानकारी सांसद पीआरओ भरत कुमार दवे द्वारा साझा की गई, जिन्होंने बताया कि सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ लगातार विषय को केंद्र सरकार के समक्ष मजबूती से उठाती रही हैं।उन्होंने केंद्र को यह अवगत कराया था कि खनन संपदा से समृद्ध क्षेत्रों में सतत व सुरक्षित खनन रणनीति अपनाना आवश्यक है, ताकि संसाधनों का वैज्ञानिक दोहन हो सके और पर्यावरणीय संतुलन के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार व आर्थिक विकास को गति मिले।सांसद ने आग्रह किया था कि राजस्थान में दुर्लभ व महत्वपूर्ण रेयर अर्थ खनिजों के अन्वेषण एवं उत्पादन में तेजी लाई जाए, आधुनिक जियोफिजिकल तकनीकों से सुरक्षित खनन प्रक्रिया को बढ़ावा मिले तथा खनिज आधारित उद्योग स्थापित कर स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जाए।उनकी लगातार की जा रही पहल को देखते हुए भारत सरकार ने 26 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में “सिन्टर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स (REPM) के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु 7,280 करोड़ रुपये की योजना” को स्वीकृति प्रदान की। इसके अंतर्गत देश में पहली बार 6,000 MTPA क्षमता की एकीकृत REPM निर्माण इकाइयों की स्थापना होगी, जिससे आत्मनिर्भर भारत मिशन को नई गति मिलेगी।यह योजना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि REPM का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा, एयरोस्पेस, नवीकरणीय ऊर्जा और उच्च तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स में होता है, जिन्हें अब तक बड़े पैमाने पर आयात किया जाता रहा है। नई योजना से वैल्यू एडिशन आधारित उद्योग विकसित होंगे, राजस्थान के युवाओं को हजारों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेंगे तथा सतत खनन सिद्धांतों पर आधारित सुरक्षित खनन प्रक्रियाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।राजसमंद सहित राज्य के कई जिलों में दुर्लभ खनिज उपलब्ध हैं, ऐसे में यह निर्णय अन्वेषण में तेजी, उद्योग निवेश के अवसर, स्थानीय अर्थव्यवस्था की प्रगति और तकनीकी रोजगार सृजन जैसे व्यापक लाभ देने वाला साबित होगा। योजना सात वर्ष की अवधि में लागू होगी और इसके लिए पांच लाभार्थियों का चयन वैश्विक प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक इकाई के लिए 1,200 MTPA क्षमता निर्धारित की जा सकेगी।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
