Rajsamand : जापान से लौटे नेशनल अवॉर्डी Rajendra Kumhar , मोलेला में उपन्ना और पगड़ी पहनाकर हुआ भव्य स्वागत

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राजसमंद (Rajsamand) जापान में भारत की पारंपरिक मोलेला टेराकोटा कला का प्रतिनिधित्व कर लौटे नेशनल अवॉर्ड प्राप्त कलाकार राजेन्द्र कुम्हार (Rajendra Kumhar) का मोलेला गाँव में भव्य स्वागत किया गया। उनके गाँव पहुँचने पर लोगों ने गर्व और सम्मान के साथ पारंपरिक रीति से उनका अभिनंदन किया। स्वागत समारोह में गाँव के नागरिकों ने उन्हें उप्पन्ना ओढ़ाकर और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया। जो राजस्थान की संस्कृति में सर्वोच्च आदर का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर पूरे गाँव में उत्सव जैसा माहौल रहा। हर चेहरे पर गर्व और प्रसन्नता झलक रही थी कि मोलेला की मिट्टी से निकला कलाकार आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान बन गया है।

कार्यक्रम में सीमा सुधीर जैन प्रशासक मोलेला, सुधीर जैन, भूतपूर्व सरपंच तरुण कोठारी, मनीषा कोठारी, भूरी लाल कुम्हार, भरत कुम्हार सहित अनेक सम्मानित नागरिक उपस्थित रहे। सभी ने एकमत होकर कहा कि राजेन्द्र कुम्हा,र ने न केवल मोलेला बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने जापान में अपने शिल्प के माध्यम से भारत की पारंपरिक कला को विश्व स्तर पर नई पहचान दिलाई और भारतीय संस्कृति की गरिमा को ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

राजेन्द्र कुम्हार, ने गाँववासियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस आत्मीय स्वागत से उन्हें अपने कार्य की सच्ची सफलता का अनुभव हुआ है। उन्होंने कहा कि किसी कलाकार के लिए सबसे बड़ा सम्मान वही होता है जब उसके अपने लोग गर्व के साथ उसका स्वागत करें। “मोलेला की माटी और यहाँ के लोगों का स्नेह ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है,” उन्होंने कहा, “और यही प्रेरणा मुझे हर बार नई ऊँचाइयों तक पहुँचने का साहस देती है।

इस अवसर पर सीमा जैन, ने कहा कि राजेन्द्र कुम्हार की उपलब्धि पूरे गाँव और क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। सुधीर जैन, तरुण जी कोठारी, मनीषा जी कोठारी, भूरी लाल कुम्हार और भरत कुम्हार ने भी कहा कि यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी मोलेला कला परंपरा का सम्मान है, जिसने सदियों से भारत की सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखा है।

राजेन्द्र कुम्हार की जापान यात्रा और उनकी वापसी पर हुआ यह सम्मान समारोह इस बात का प्रतीक है कि जब कोई कलाकार अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है, तो उसका हर कदम अपने गाँव और देश दोनों का गौरव बढ़ाता है। मोलेला की यह मिट्टी आज गर्व से कह सकती है कि उसने ऐसा कलाकार दिया है जिसने भारत की कला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुँचाया और फिर उसी सादगी के साथ अपनी धरती में लौट आया।

रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत

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