राजसमंद (Rajsamand) उद्यान विभाग द्वारा राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन “प्रति बूंद ज्यादा फसल (Per Drop More Crop)” योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों जैसे बूंद-बूंद, माइक्रो फव्वारा, मिनी फव्वारा, फव्वारा एवं रेनगन आदि की स्थापना हेतु संयंत्र की इकाई लागत का 70 से 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उप निदेशक उद्यानिकी कल्प वर्मा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा 22 सितम्बर 2025 से जीएसटी में किए गए संशोधन के अनुसार सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों पर लागू 12 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे अब इन संयंत्रों की स्थापना किसानों के लिए और अधिक किफायती हो गई है।
राज्य में जल की कमी एवं सिंचाई दक्षता को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों का उपयोग अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो रहा है। इन संयंत्रों के उपयोग से जल की बचत, गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादन, खरपतवार नियंत्रण, कीटनाशकों व उर्वरकों का प्रभावी उपयोग, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, मृदा कटाव में कमी तथा ऊर्जा एवं श्रम लागत में कमी आती है, जिससे किसानों की आय में सकारात्मक वृद्धि होती है।
सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों के मुख्य प्रकार
बूंद-बूंद ड्रिप सिंचाई संयंत्र – इस पद्धति में पाइपों के नेटवर्क पर लगे ड्रिपर के माध्यम से पौधों की जड़ों के पास सीधे सिंचाई की जाती है। इसकी जल दक्षता 95% एवं जल बचत 70% तक होती है। सूक्ष्म फव्वारा माइक्रो सिंचाई संयंत्र – इसका फव्वारा क्षेत्र 3 मीटर त्रिज्या तक होता है, तथा प्रवाह 20 से 150 लीटर प्रति घंटा है। मिनी फव्वारा सिंचाई संयंत्र – मध्यम दूरी की प्रणाली है जिसकी त्रिज्या 3 से 10 मीटर एवं प्रवाह 150 से 600 लीटर प्रति घंटा होता है। यह पाले से बचाव हेतु प्रभावी है।
फव्वारा सिंचाई संयंत्र – इस पद्धति में एचडीपीई पाइपों में लगी नोजल से दबावयुक्त जल 12 से 18 मीटर तक त्रिज्या में छोड़ा जाता है। प्रवाह 1200 से 1800 लीटर प्रति घंटा है। रेनगन सिंचाई संयंत्र – यह अधिक घनत्व वाली प्रणाली है, जिसमें एक या दो फव्वारों से बड़े क्षेत्र की सिंचाई होती है। इसकी त्रिज्या 24 से 36 मीटर एवं प्रवाह 10000 से 32000 लीटर प्रति घंटा है।
कृषक पात्रता एवं अनुदान प्रावधान जिन कृषकों के नाम भू-स्वामित्व है तथा जिनके पास कुएं, नलकूप या अन्य जल स्त्रोत पर विद्युत, डीजल, सौर या ट्रैक्टर चालित पम्प सेट है, वे अनुदान के पात्र हैं। साथ ही सामूहिक जल स्त्रोत, साझेदारी जल करार या लीज भूमि न्यूनतम 7 वर्ष के शपथ पत्र पर भी पात्रता दी गई है। सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रों पर न्यूनतम 0.2 हैक्टर तथा अधिकतम 5.0 हैक्टर प्रति लाभार्थी तक अनुदान स्वीकृत है। अनुदान दर 70 प्रतिशत अन्य कृषक एवं 75 प्रतिशत लघु/सीमान्त/अजा/अजजा/महिला कृषक) निर्धारित है।
आवेदन प्रक्रिया
इच्छुक पात्र कृषक राज किसान साथी पोर्टल या राज किसान सुविधा मोबाइल ऐप के माध्यम से जनाधार आईडी द्वारा ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ नवीनतम प्रमाणित जमाबंदी, स्वप्रमाणित नक्शा ट्रेस, जल स्त्रोत प्रमाण पत्र, बिजली बिल/पम्प सेट रसीद, जल करार 5 वर्ष पंजीकृत निर्माता/आपूर्तिकर्ता का कोटेशन, मृदा एवं जल परीक्षण रिपोर्ट, संयंत्र रूपरेखा तथा तकनीकी आर्थिक रिपोर्ट ड्रिप हेतु अपलोड करना आवश्यक है। आवेदन के दौरान कृषक राज्य में पंजीकृत निर्माता या आपूर्तिकर्ता का चयन ड्रॉपडाउन सूची से कर सकेंगे।
तकनीकी मापदण्ड
कृषकों द्वारा केवल बीआईएस मार्का संयंत्र राज्य में पंजीकृत निर्माता या अधिकृत विक्रेता से ही खरीदे जाने पर अनुदान देय होगा। संयंत्र की स्थापना हेतु आवश्यक खुदाई एवं फाउंडेशन कार्य किसान स्वयं निर्धारित समयावधि में पूर्ण करें। हेड यूनिट का पक्का फाउंडेशन कार्य किसान द्वारा कराना अनिवार्य है तथा संयंत्र क्षेत्र में यथासंभव चारों ओर तारबंदी की जानी चाहिए।
अपील
उपनिदेशक कल्प वर्मा ने किसान भाइयों से अपील है कि वे सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र अपनाकर राज्य में उपलब्ध जल का कुशलतम उपयोग करें तथा गुणवत्तायुक्त फसल उत्पादन कर अपनी आय में वृद्धि करें। आवेदन हेतु निकटतम ई-मित्र केन्द्र या स्वयं राज किसान साथी पोर्टल एवं राज किसान सुविधा मोबाइल ऐप के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर ऑनलाइन आवेदन करें।
रिपोर्ट -नरेंद्र सिंह खंगारोत
