
राजसमंद (Rajasamand) बुढ़ापे का कोई ठिकाना नहीं रहता आज के समय में युवा भी समय से पूर्व ही अपना शरीर छोड़ रहे हैं। ऐसे में अगर आपको प्रभु में मन लगाना है भजन करने हैं तो बुढ़ापे का इंतजार नहीं करें, अपने कर्म के साथ भजन पूजन भी करते रहें। यह विचार गेगा खेड़ा कोटड़ी जिला भीलवाड़ा के भागवत कथा प्रवक्ता पंडित मुकेश शास्त्री (Pandit Shastri) ने व्यक्त किए। वे नांदोली में गालव परिवार की ओर से वृहद श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान सप्ताह के तहत श्रद्धालुओं को उद्बोधन दे रहेथे। उन्होंने अजामिल के प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि बुढ़ापे में व्यक्ति का शरीर साथ नहीं देता तो वह पूजा पाठ कैसे करेगा। यही नहीं एक उम्र के बाद व्यक्ति की जिह्वा भी उसका साथ नहीं देती तो वह प्रभु का नाम कैसे ले पाएगा। इसलिए यह जरूरी है कि अगर प्रभु का नाम स्मरण करना है तो समय रहते युवावस्था में ही कर लेना चाहिए। यही नहीं अगर तीर्थाटन भी करना है तो वह भी युवा रहते ही कर लेना चाहिए और बुढ़ापे के लिए कुछ भी नहीं छोड़ना चाहिए। इस प्रसंग पर भजन करो भरी जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है…, भजन की प्रस्तुति पर पूरा पंडाल भक्ति से झूम उठा। पंडित शास्त्री ने अजामिल नामक ब्राह्मण के पुत्र का नामकरण नारायण रखने के प्रसंग पर कहा कि नाम की बड़ी महत्व है, लेकिन आज के युग में इसे नहीं समझा जा रहा। यही कारण है कि आज नामकरण के समय लोग यह ध्यान रखते हैं कि वह अल्फाबेट में पीछे तो नहीं आ रहा और छोटा से छोटा राम रखना चाहते हैं, जिसको कोई पुकारे तो कब शुरू हुआ कब खत्म हो गया पता ही नहीं चलता। उन्होंने कहा कि बच्चों का नामकरण प्रभु के नाम पर होना चाहिए ताकि बच्चों का नाम लेते हुए भी हम प्रभु का नाम स्मरण कर सकते हैं। उन्होंने आज के सीमित परिवार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक समय था जब भरा-पूरा परिवार हुआ करता था, लेकिन बाद में हम दो हमारे दो और अब तो सिर्फ एक संतान का ही चलान हो गया है। उन्होंने श्रद्धालुओं से प्रश्न करते हुए कहा कि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में भाभी, मौसी, भाई जैसे रिश्ते खत्म हो जाएंगे, जिन्हें बचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि परिवार को पालने की चिंता नहीं करनी चाहिए, परिवार में जितने भी लोग हैं, उन्हें उनकी भाग्य में लिखा अवश्य मिलेगा। उन्होंने कहा कि घर में अगर एक जब कमाने वाला हो तो इसका मतलब यह नहीं कि वह उसके भाग्य का ही कमा रहा है बल्कि वह पूरे परिवार के भाग्य से ही अर्थ अर्जन कर पा रहा है, जिसमें सभी का हिस्सा है। पंडित शास्त्री ने कथा में आज गजेंद्र मोक्ष भक्त प्रहलाद नर्सिंग में अवतार राम अवतार एवं कृष्ण जन्म आदि प्रसंगों का रोचक ढंग से वर्णन किया। इसके साथ ही कथा प्रसंग के अनुसार भजनों की प्रस्तुतियों ने वातावरण को भक्ति से भर दिया। इसके तहत तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे बलिहार प्यारे ज, मेरी नैया में सीताराम गंगा मैया धीरे बहो, आज कन्हैया आजा रे तुझे मैया पुकारे,राजा राम आईए मेरे भोजन का भोग लगाइए, मने वालो लगे श्रीजी थारो नाम तन मन धन श्रीजी ने अर्पण, राम जी की चिड़िया राम जी का खेत आओ मेरी चिड़िया भर भर पेट, जैसे भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु भक्ति भाव से झूम बिना नहीं रह पाए।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
