
पाली (Pali) अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ राष्ट्रीय अध्यक्ष योगनिष्ठ पं सत्यपाल वत्स ने कहां कि अष्टांग योग से व्यक्ति में शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। जिसके फलस्वरूप उसमें आत्मविश्वास, स्वाभिमान, निराभिमानता और लचीलापन आता है और उसका व्यक्तित्व निखारता है। वे दुर्गादास नगर स्थित जांगिड़ समाज भवन में अष्टांगयोग विषय पर प्रवचन देते हुए एक धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा की अष्टांग योग की पहली सिढी संध्या है, प्रत्येक व्यक्ति को दिन में दो बार संध्या अवश्य करनी चाहिए। गुरूजी ने उपस्थित जनों को संध्या और ध्यान करने की विधि का अभ्यास और यज्ञ करवाकर यज्ञ करने की विधि और लाभ भी बताये।
आध्यात्मिक प्रकोष्ठ प्रवक्ता घेवरचन्द आर्य ने बताया कि धर्मगुरु के पाली पहुंचने पर अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा जिला अध्यक्ष भंवरलाल आसदेव के निर्देशन में श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज सेवा समिति अध्यक्ष रामचन्द्र पिडवा के नैतृत्व में गुरूजी सत्यपाल वत्स का और महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष राजरानी के नैतृत्व में गुरू पत्नी फूलवती देवी का समाज की और से साफा बंधवाकर और शाल ओढ़ाकर स्वागत सत्कार किया गया। अपने स्वागत में गुरूजी ने सबको आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने हुए आत्म कल्याण की सीख और आर्शीवाद दिया।
इस अवसर पर महिला प्रकोष्ठ की और से राजरानी देवी, तरूणा देवी, सुखी देवी, जांगिड़ समाज के वयोवृद्ध डायाराम सायल, कोषाध्यक्ष पारसमल बूढल, मंत्री मधूसुदन आसदेव, प्रवक्ता घेवरचन्द आर्य, आचार्य हनुमान जांगिड़, धनराज , जगदीश बरड़वा, सुर्य प्रकाश, ललीत, चेतन, अशोक, कुशल भावेश, पुनमचन्द, केलाश आर्य सहित कई जन मौजूद रहे।
रिपोर्ट – घेवरचन्द आर्य
