
ब्रह्मर्षि अंगिरा से प्रेरणा ले अथर्ववेद की।
जांगिड़ो को सत्यपाल केवे बात अध्यात्म की।।
किसी से न कीजे बुराई किसी की।
यदि बन न पाए भलाई किसी की ।।
ब्रह्मर्षि अंगिरा से ………….
करो सत्य है जो बड़ों की बड़ाई।
करो पर न झूठी बड़ाई किसी की।।
ब्रह्मर्षि अंगिरा से…………
रहो सत्य के सर्वदा सब ही साथी।
निरर्थक न लो पर लड़ाई किसी की ।।
ब्रह्मर्षि अंगिरा से…………..
कमाओ विपुल धन परिश्रम से अपने।
ठगो ढोंग से पर न पाई किसी की।।
ब्रह्मर्षि अंगिरा से…………….
सदा अपने भुजबल से खाओ कमाकर।
महापाप खाना कमाई किसी की ।।
ब्रह्मर्षि अंगिरा से…………..
वरो नार सुन्दर सियानी सुशिक्षित।
तको पर न विनीता पराई किसी की।
ब्रह्मर्षि अंगिरा से ………………
नहीं इससे बढ़कर है आनन्द जग में।
कि टालें बला सिर पै आई किसी की ।।
ब्रह्मर्षि अंगिरा से …………….
इस भजन के माध्यम से समाज को सही दिशा दिखाने का प्रयास किया है। भजन में कई महत्वपूर्ण संदेश दिए गए हैं, जैसे कि ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी के हृदय पटल में प्रगटाभूत अथर्ववेद से प्रेरणा लेना, अध्यात्मिक गुरू से अध्यात्मिक ज्ञान ग्रहण करना, सत्य के मार्ग पर चलना, किसी की बुराई न करना, परिश्रम से धन कमाना, और अपने बल पर निर्भर रहना। साथ ही साथ, इसमें यह भी कहा गया है कि किसी की झूठी बड़ाई न करें और न ही किसी की पराई स्त्री की ओर देखें।
यह भजन न केवल जांगिड़ ब्राह्मण समाज के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सन्देश है। मैं समझता हूँ कि अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ द्वारा जारी किया गया यह भजन निश्चित रूप से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करेगा।
रिपोर्ट – घेवरचन्द आर्य
