
Pali: अखिल भारतीय राज्य पेंशनर्स फैडरेशन के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर राजस्थान पेंशनर समाज, जिला शाखा पाली द्वारा सोमवार को प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। यह ज्ञापन पूर्व पेंशनरों को वर्तमान में दी जा रही पेंशन सुविधाओं से वंचित न किए जाने की मांग को लेकर सौंपा गया।
जिला अध्यक्ष सोहनलाल जोशी ने बताया कि हाल ही में केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों और भारत की संचित निधि से पेंशन देनदारियों पर व्यय के सिद्धांतों से संबंधित विधेयक संसद में पारित हुआ है। इसके तहत सरकार को पूर्व और वर्तमान पेंशनरों में भेद करने का अधिकार प्राप्त हो गया है, जो कि संविधान, उच्चतम न्यायालय के निर्णयों और सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि पेंशन एक सामाजिक सुरक्षा का साधन है, जो जीवन के सबसे कठिन काल में व्यक्ति को गरिमा और सहारा देने का कार्य करती है। ऐसे में पूर्व और वर्तमान पेंशनरों को एक समान मानते हुए उन्हें समान अधिकार और सुविधाएं मिलना आवश्यक है। वर्ष 2016 में सातवें वेतन आयोग की संस्तुति के अनुसार भी सरकार ने दोनों वर्गों के पेंशनरों के बीच समानता को स्वीकार किया था। अब उस समानता को समाप्त करने का प्रयास न केवल अनैतिक है, बल्कि यह सामाजिक न्याय की भावना के भी विरुद्ध है।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष विट्ठलभाई सांखला ने कहा कि यह प्रयास संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत नागरिकों को प्राप्त संपत्ति संबंधी न्यायिक अधिकारों का उल्लंघन है। पेंशन को संपत्ति का दर्जा पहले ही दिया जा चुका है और संविधान के 44वें संशोधन के तहत यह अधिकार अब न्यायिक दायरे में आता है।
सचिव शिवराम प्रजापत ने कहा कि यदि केंद्र सरकार पेंशन नियमों में इस प्रकार का बदलाव करती है तो इससे पूर्व पेंशनर्स के हितों को गंभीर क्षति पहुंचेगी और इससे न्यायिक संघर्ष की नौबत भी आ सकती है।
ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला पेंशनर समाज के परामर्शदाता कालूप्रसाद शर्मा, उपाध्यक्ष केसरसिंह राजपुरोहित, राजेश शर्मा, धनराज शर्मा, विजयसिंह चौहान, विष्णुकुमार गोयल, कालूराम भाटी मंडिया, फरीद मोहम्मद, धनसिंह बडगूजर सहित बड़ी संख्या में पेंशनर्स मौजूद रहे।
रिपोर्ट – रविन्द्र सोनी