राजस्थान में सिरोही (Sirohi) जिले के वासा गांव में गायत्री महिला भजन मंडल एवं गोरवाल ब्राह्मण समाज के तत्वावधान में मंगलवार (12 नवंबर, 2024) को सूर्य नारायण मंदिर परिसर में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया। जानकारी के अनुसार सामुहिक यज्ञोपवित संस्कार में गांव के आठ बटूकों का यज्ञोपवित उपनयन संस्कार संपन्न हुआ। आचार्य जगदीश भाई दवे द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार व अनुष्ठान के साथ आठ बटुकों को यज्ञोपवीत संस्कार के तहत जनेऊ धारण कराया गया। काशी प्रस्थान की परंपरा निभाने के तहत इन सभी बटुकों ने गुरु के आदेश पर वही शिक्षा ग्रहण करने का संकल्प लिया। यज्ञोपवीत संस्कार से पूर्व बटुकों का मुंडन करवाया गया।
बाद में विधि-विधान से भगवान गणेश सहित देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बटुकों को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया गया। इसके बाद विनियोग मंत्र ब्रह्मचर्य के पालन की शिक्षा के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। गायत्री मंत्र की दीक्षा देने के बाद बटुकों ने भिक्षा लेकर गुरु को अर्पण की। इसके बाद गुरु ने उनके कानों में गुरु मंत्र दिया। वैदिक धर्म में यज्ञोपवीत दशम संस्कार है।
इस संस्कार में बटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है। शिक्षा ग्रहण करने के पहले यानी, गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था। भगवान रामचंद्र तथा कृष्ण का भी गुरुकुल भेजने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार हुआ था। वहीं मंत्रोच्चार द्वारा गांव का माहौल भक्ति मय बना हुआ था। महिलाओं ने मंगल गीत गाए। इस दौरान गायत्री महिला भजन मंडल एवं गोरवाल ब्राह्मण समाज के लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट – विनोद दवे