भीनमाल। हमने पूजा पाठ, आरती, ध्यान और अन्य धार्मिक क्रियाओं को ही केवल साधना मान लिया। जबकि होश पूर्वक जीवन का नाम ही साधना है। जीवन को कसावट में लाने वाली प्रक्रिया ही साधना है। भीतर के विवेक का जगना ही साधना का प्रतिफल है। यह बात सन टू ह्यूमन मिशन इंदौर के तत्वावधान में स्थानीय बगस्थली माताजी मंदिर परिसर में प्रांरभ नए दृष्टिकोण वाले शिविर में योग साधक परम आकाश ने कही।
सुबह के दो घंटे के पहले दिन के सत्र में उन्होंने बताया कि बिना होश के शरीर में कुछ भी डालना ही बीमारियों को आमंत्रण देना होता है। स्वाद के वशीभूत होकर प्रकृति और शरीर के नियमों को जाने बिना जो ग्रहण करते हैं, उससे केवल शरीर ही नहीं बल्कि मन पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए ही ज्ञानियों द्वारा यह बोला गया है कि जैसा खाएंगे अन्न, वैसा होगा हमारा मन।
सूरज की हल्की और तपती किरणों के वातावरण में भीतर की शक्तियों को जगाने के परम आलय प्रेरित शक्तिशाली प्रयोग कराते हुए परम आकाश ने कहा कि हर मनुष्य को प्रकृति ने दस प्रतिशत चेतन मन दिया है और वह इसलिए दिया है कि नब्बे प्रतिशत अचेतन को वह जगा सके। पशु और मनुष्य में यही बड़ा फर्क है लेकिन बिना होश की जीवनचर्या में अचेतन को जगाने की बात तो दूर, पशु के तल पर ही पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है।
शिविर के दौरान साधकों को ध्यान बढ़ाने और ऑक्सीजन बढ़ाने वाले व्यायाम के विभिन्न प्रयोग भी परम आकाश द्वारा करवाए गए। भक्ति गीतों पर नृत्य के माध्यम से श्रोता आनंद से झूम उठे। इस मिशन का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र रहा करीब बीस आइटम वाला ऊर्जावान एल्कलाइन नाश्ता। शिविर का समापन रविवार को होगा।
इस अवसर पर जोगाराम चौधरी, नारायण जांगिड़, दिनेश भाटी, भरत शर्मा, अशोक धारीवाल, सुमित माहेश्वरी, संदीप देसाई, विवेकानंद बिस्सा, हनुमान शर्मा, नवरतन अग्रवाल, रतन बंसल, हरिराम विश्नोई, बाबूलाल सोलंकी, सुरेश सुंदेशा, सुरेश अग्रवाल, डा. विश्वास, डा. हिम्मत शर्मा, कमलेश महेश्वरी, सांवलाराम सेन, दिनेश बोहरा, नवलाराम, दिशा खंडेलवाल, भगवती देवी, शोभा शर्मा, चेतना नागर, निरंजना प्रजापति व प्रवीण प्रजापति सहित बड़ी संख्या में नगरवासी मौजूद थे।