
वस्त्रनगरी भीलवाड़ा (Bhilwara) के करोड़ों रुपये के कपड़ा उद्योग में एक गंभीर संकट खड़ा हो गया है। कपड़ा निर्माता कंपनियों के उद्यमियों ने प्रोसेस हाउसों द्वारा लगाए गए 2 प्रतिशत अतिरिक्त राजस्व (चार्ज) का कड़ा विरोध प्रकट किया है। एक तरफ सरकार हेज कम करके आम आदमी का कपड़ा सस्ता कर रही है इसके ठीक विपरीत प्रोसेसर संघ बनाकर एक तरह का निजी टेक्स लगाने का प्रयास कर रही है इस विरोध के चलते, कपड़ा निर्माताओं ने यह बड़ा ऐलान कर दिया है कि जब तक प्रोसेस हाउस यह अतिरिक्त चार्ज वापस नहीं लेंगे, तब तक ग्रे डिस्पैच प्रोसेस में नहीं किया जाएगा। यह गंभीर मामला मंगलवार को भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के गांधीनगर कार्यालय पर सामने आया, जहां बड़ी संख्या में कपड़ा निर्माता कंपनियों के उद्यमी विरोध दर्ज कराने पहुंचे। कपड़ा निर्माताओं ने फेडरेशन अध्यक्ष एवं स्थानीय सांसद दामोदर अग्रवाल के सामने अपनी बात रखी। उद्यमियों ने स्पष्ट किया कि यह अतिरिक्त 2 प्रतिशत चार्ज उनकी लागत को बहुत बढ़ा रहा है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। सांसद ने उद्यमियों की इस गंभीर समस्या को सुनने और समझने के बाद तत्काल इसके स्थाई समाधान के लिए एक उच्च-स्तरीय कमेटी के गठन का निर्देश दिया। गठित कमेटी का मुख्य कार्य वीवर्स (निर्माता) और प्रोसेसर्स के बीच बातचीत की कड़ी बनकर मामले को निस्तारित कराना है। भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन की ओर से इस कमेटी में संस्थापक अध्यक्ष श्याम चांडक और वरिष्ठ संस्थापक सदस्य रामेश्वर काबरा को नियुक्त किया गया है। अब ये दोनों वरिष्ठ सदस्य दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित कर जल्द से जल्द इस तनाव को खत्म करने का प्रयास करेंगे, ताकि भीलवाड़ा के बाज़ार में सामान्य व्यापार फिर से शुरू हो सके। इस मौके पर फेडरेशन के अध्यक्ष दामोदर अग्रवाल, संरक्षक श्याम चांडक, सचिव प्रेम गर्ग, रामेश्वर काबरा और पारस बोहरा के साथ विस्तार से चर्चा हुई। विरोध प्रकट करते हुए ज्ञापन देने वालों में सुरेश जाजू, शिव सोडाणी, गोपाल झंवर, संतोष आगाल, नंदकिशोर झंवर, शिरीश जैन, दीपक बंसल, योगेश बियानी, सुशील चोरडिया, कैलाश बिरला, सौरभ बेसवाल, पुनीत कोठारी, रामपाल असावा, महेश हूरकट, अविनाश सोमानी और सी के संगतानी सहित कई प्रमुख उद्यमी मौजूद थे। बॉक्स लगावें प्रोसेसो पर प्रदूषण मंडल का डंडा, भार व्यापारियों और जनता पर रंडी का दंड फकीर पर यह कहावत आपने सुनी होगी यह बहुत पुरानी कहावत है और इस कहावत से ही इसके भावार्थ को समझा जा सकता है ऐसा ही कुछ वाक्य भीलवाड़ा में सामने आया है जब प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आर्थिक दंड का नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रोसेस हाउसो के संचालको द्वारा कपड़ा व्यापारियों पर आर्थिक बोझ डालने से पीड़ित होकर आज व्यापारियों ने सड़क पर उतरकर इसका विरोध किया है व्याकरण का भार आम जनता पर भी पड़ेगा। टेक्सटाइल प्रोसेस हाउस की ओर से प्रोसेसिंग लागत में 2 प्रतिशत अतिरिक्त हैंडलिंग चार्ज जोड़ने के पीछे अब बड़ा कारण सामने आया है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की सख्ती और जुर्माने की मार से बचने के लिए प्रोसेसरों ने यह अतिरिक्त भार कपड़ा व्यापारियों पर डाल दिया है। जनवरी 2023 से अब तक मंडल ने 25 प्रोसेस हाउसों पर कुल 1 करोड़ 9 लाख 25 हजार 683 रुपए का जुर्माना ठोका है। इनमें से 73 लाख 7 हजार 870 रुपए की वसूली भी की जा चुकी है। इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है। नदी-नालों में चोरी-छिपे दूषित पानी छोड़े जाने के कई मामले पकड़े गए, जिसके बाद मंडल ने कार्रवाई की। पर्यावरण सुधार और प्रदूषण नियंत्रण उपायों में लगने वाले खर्चों की भरपाई के लिए प्रोसेसिंग कोस्ट में 2 प्रतिशत अतिरिक्त चार्ज जोड़ा गया है।
रिपोर्ट -पंकज पोरवाल

 
			 
                                
                              
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		