
राजसमंद (Rajsamand) राजस्थान पुलिस मुख्यालय के निर्देशों की पालना में बालिका एवं महिला सुरक्षा विषयों पर जागरूकता के लिए जिला प्रशासन, राजसमंद पुलिस, राजीविका व पुलिसिंग फॉर केयर ऑफ चिल्ड्रन कार्यक्रम के सहयोग से जिले के सभी पुलिस थानों पर चयनित सुरक्षा सखियों की एक कार्यशाला का आयोजन गुरुवार को जिला परिषद सभागार राजसमंद में किया जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. ममता गुप्ता ने कहा कि समाज में सुरक्षा सखी की अहम भूमिका है, आमजन एवं पुलिस के बीच सेतु बनाने का कार्य सुरक्षा सखी का है। महिलाएं संवेदनशील होती है और सुरखा सखियों का दायित्व है कि हर जरूरतमंद व पीडित महिला को सुरक्षित एवं सकारात्मक माहौल उपलब्ध कराने के लिए पुलिस विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करें और उन्हें वर्तमान परिपेक्ष्य के प्रति जागरूक करते हुए आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने का प्रयास करें। उन्होंने समाज में बेटियों को शिक्षित व जागरूक करते हुए अभिभावकों के निर्णय के अनुसार बेहतर भविष्य का निर्माण करने और बच्चों को मोबाइल से दूर रहने व अन्य सभी को भी मोबाइल का सीमित व सदुपयोग करने का आह्वान किया। एसपी गुप्ता ने साइबर अपराध से बचाव के बारे में जानकारी देते हुए इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना करने, सतर्क रहने और किसी भी अनजान नंबर या एप पर अपने से संबंधित कोई भी जानकारी साझा नहीं करने की सलाह दी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेन्द्र पारीक ने बालकों की सुरक्षा और विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल संरक्षण हम सभी का दायित्व है। ऐेसे में आप पुलिस विभाग के सहयोग से अपने क्षेत्र में कार्य करते हुए बाल संरक्षण को प्राथमिकता देवे। बाल भिक्षावृत्ति उन्मूलन एवं बाल श्रम के रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाते हुए 1098 या अन्य हेल्पलाइन नंबर या संबंधित विभाग को सूचित करें। उन्होंने महिला सुरक्षा के लिए स्थापित वन स्टॉप सेंटर, महिला सलाह एवं सुरक्षा केन्द्र, महिला हेल्प डेस्क आदि के बारे में जानकारी दी। यूनिसेफ की संभागीय बाल संरक्षण सलाहकार श्रीमती सिंधु बिनुजीत ने बताया कि युनिसेफ राजस्थान के सहयोग से ‘‘पुलिसिंग फॉर केयर ऑफ चिल्ड्रन कार्यक्रम‘‘ का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने सुरक्षा सखियों के दायित्व एवं भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पुलिस विभाग के सहयोग से रेंज के सभी थानों में कार्यरत सुरक्षा सखियों द्वारा समय-समय पर बालकों के संरक्षण और उन्हे शिक्षा से जोडने के लिए निरन्तर प्रयास किए जाते है, जिनमें गुमशुदा बालकों को उनके परिवार से मिलाने, बाल विवाह रोकथाम में सक्रिय भूमिका, महिला एवं बालिका सुरक्षा, शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षा से जोडने में सहयोग करना, दुर्व्यवहार से पीड़ित बालकों के प्रकरणों में त्वरित अनुसंधान जैसे कार्य किये जा रहे है। जिला परिषद की अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. सुमन अजमेरा ने कहा कि परिवार एवं समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है। आप सभी महिलाओं के बीच जाकर कार्य कर रही है यह अच्छी बात है एक महिला की भावना दूसरी महिला सहजता से समझ सकती है। हम किसी जरूरतमंद या पीडित महिला के बीच रहकर उसे सहयोग करते है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और उसे संबंल मिलता है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कोमल पालीवाल ने कहा कि बच्चों की खरीदना और बेचना गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में हम सभी को जागरूक होकर बाल संरक्षण की दिशा में प्रभावी प्रयास करने होंगे। राजीविका के जिला प्रबंधक भेरूलाल बुनकर ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। कार्यक्रम में बाल कल्याण समिति के सदस्य बहादुर सिंह, राजीविका की डीआरसी हेड प्रीति लोधा, पुलिस विभाग महिला सेल के सहायक उपनिरीक्षक लक्ष्मण सिंह राणावत, जिले के सभी थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारी एवं कार्यक्रम टीम के दिलीप सालवी सहित लगभग 120 सुरक्षा सखियों ने भाग लिया।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
