भीलवाड़ा (Bhilwara) भारत विकास परिषद विवेकानंद (Vivekananda) संस्था की साधारण सभा की बैठक में शांति, सकारात्मकता और भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व पर जोर दिया गया। मुंबई के प्रसिद्ध ध्यान योग विशेषज्ञ डॉ. एस.एन. रंजन ने बैठक की अध्यक्षता कर रहे गिरीश अग्रवाल के नेतृत्व में हुए इस आयोजन में कहा कि वास्तविक सफलता तभी सार्थक होती है जब वह शांति के साथ हासिल की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञान हमारी बुद्धि को प्रकाशित करता है और सकारात्मक सोच से व्यक्ति निरोगी रहता है। डॉ. रंजन ने अपने उद्बोधन में ध्यान और योग के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में दो प्रकार के स्वर होते हैं- चंद्र और सूर्य। उन्होंने सलाह दी कि हमें चंद्र स्वर के समय भोजन से बचना चाहिए, जबकि सूर्य स्वर के समय भोजन करने से हमारी पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि ध्यान योग के दौरान लंबी और गहरी सांस लेनी चाहिए और मुंह से धीरे-धीरे छोड़नी चाहिए। इस प्रक्रिया को नियमित रूप से करने से असाध्य रोगों पर भी काबू पाया जा सकता है। उन्होंने सभी को सुबह और शाम दोनों समय ध्यान का अभ्यास करने की सलाह दी। डॉ. रंजन ने भारतीय ज्ञान परंपरा की समृद्धि पर जोर देते हुए कहा कि इसमें ज्ञान का अपार भंडार छिपा है। उन्होंने कहा कि हमें अपने विवेक को जागृत करने की विधियों को सीखना चाहिए और हमेशा सकारात्मक कर्म करने चाहिए। कार्यक्रम का संचालन रजनीकांत आचार्य और सुमित जागेटिया ने किया। इस मौके पर प्रांतीय संरक्षक रामेश्वर काबरा, कार्यक्रम संयोजक वंदना अग्रवाल, शाखा के सचिव केजी सोनी, महिला संयोजक अनु हिम्मतरामका, पारसमल बोहरा और ओमप्रकाश लड्ढा भी मौजूद थे। परिषद की ओर से आगामी 21 सितंबर को एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल