साध संगत की सेवा से मन के विकार दूर होने के साथ होती है परमात्मा की प्राप्ति : बहिन मंजुला

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भीलवाड़ा। मानवमात्र वर्तमान समय मे अपने स्वार्थों की आपूर्ति के लिए काम, लोभ, मोह, माया का सहारा पाकर जीवन मे व्यर्थ दौड़ लगा रहा है जबकि परमात्मा की प्राप्ति मानव नही कर पा रहा है। यदि मानवमात्र साधसंगत की शरण पा लेता है तो उसे प्रभु परमात्मा की प्राप्ति मिल जाती है। उक्त विचार निरंकारी मंडल की ज्ञान प्रचारक बहिन मंजुला ने अपने सात दिवस भीलवाड़ा जॉन के दौरे पर संत गणेश भूषण के सेवानिवृत्ति पर शहर के भूरा विहार में आयोजित निरंकारी सत्संग में व्यक्त किए।

सत्संग में श्रदालुओ को सम्बोधित करते हुए बहिन मंजुला ने बताया कि हमारे मन मे लोभ मोह, माया आदि विकार भरे पड़े है ये सभी विकार साधसंगत की शरण मे जाने से दूर हो जाते है और मन मे बसे विकार हमारे नियंत्रण में ह्यो जाते है ओर निरंकार की शरण मे मन लीन हो जाता है।

भीलवाड़ा जोनल इंचार्ज जगपाल सिंह राणावत ने श्रदालुओं को सम्बोधन में कहा कि मनुष्य जीवन मे मोक्ष की प्राप्ति के लिए सेवा, सत्संग, व सिमरन, का सहारा लेते हुए जीवन को सदगुरू के चरणों मे समर्पित कर जिए तो चौरासी के फेर से मुक्ति मिलने के साथ ईश्वर की शरण प्राप्त हो जाती है। सिंह ने निरंकारी मंडल द्वारा मानव कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यो पर भी प्रकाश डाला।

सत्संग के मध्य हाल ही में माननीय राष्ट्रपति द्वारा पदमश्री लेकर भीलवाड़ा आने पर संत निरंकारी मंडल की ओर से के जॉन प्रभारी एवं संतो द्वारा दुपट्टा व साफा पहनना कर स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। पद्मश्री जानकी लाल ने कहा कि गुरु के बिना कुछ भी संभव नहीं है गुरु की शरण से ही मोक्ष संभव है एवं उन्होंने कहा कि यह पदक मेरा नहीं आप सबका है आप सबके प्यार से संभव हो पाया है। सत्संग में समाजसेवी प्रकाश चंद्र छाबड़ा, कांतिभाई जैन का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

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