
Bhilwara। शहर के शास्त्री नगर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में मीराबाई की 527वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में सर्वसमाज की महिलाओं द्वारा मीराबाई की झांकी, प्रश्नोत्तरी और कीर्तन का आयोजन किया गया। सभी ने मीराबाई और भगवान कृष्ण के भजनों पर आनंद लिया। राष्ट्र सेविका समिति की विभाग बौद्धिक प्रमुख नीलू मालू ने अपने उद्बोधन में मीराबाई की संपूर्ण जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि मीराबाई एक महान संत, हिंदू रहस्यवादी कवि और भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। मीराबाई की सादगी, ईश्वर के प्रति श्रद्धा और कृष्ण को समर्पित उनका आत्मीय काव्य आज भारत की राष्ट्रीय धरोहर माना जाता है। उन्होंने बताया कि मीरा ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को सरलता और सटीकता के साथ गाया। मीराबाई को जितनी चुनौतियाँ दी गईं या सताया गया, वह धार्मिक या सामाजिक परंपराओं के कारण नहीं, बल्कि तत्कालीन मुगल साम्राज्य और राजपूत साम्राज्य की राजनीतिक अराजकता और सैन्य संघर्षों के कारण था। मीराबाई एक राजकुमारी थीं, लेकिन उन्होंने भक्ति के लिए सुख-सुविधाओं और विलासिता को त्याग दिया।
महलों के आरामदायक जीवन की बजाय उन्होंने तपस्या, त्याग और वैराग्य का मार्ग अपनाया। मीराबाई को भारत के महान संतों में से एक माना जाता है और उनके भजन आज भी पूरे भारत में श्रद्धा के साथ गाए जाते हैं। नीलू मालू ने यह भी कहा कि हमें मीराबाई जैसे संतों को स्मरण करते हुए उनके संस्कारों को जिम्मेदारी से आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए। कार्यक्रम का समापन आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल