
भीलवाडा (Bhilwara) हिमालय पर्वत में स्थित तिब्बत वासी भारत में निर्वासित जीवन यापन कर रहे हे, तिब्बत पर विस्तारवादी ड्रेगन चीन ने कब्जा कर लिया तो अधिकांश तिब्बत के लोग भारत आ गए, उनके संग 14वें धर्म गुरु दलाई लाम्बा भी भारत के हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला में ही निवास कर रहे है। तिब्बती समाज के तेनजिंग मियांक ने जानकारी देते हुए बताया की तिब्बती समाज शुरू से ही शांति प्रिय रहा इस कारण ही 10 दिसंबर 1989 में धर्मगुरु दलाई लाम्बा को नोबल शांति पुरस्कार दिया गया! इस दिवस को दुनियां विश्व मानव अधिकार दिवस मनाता है। आज के दिवस पर तिब्बती समाज ने सामूहिक प्रातः काल शांति पाठ, बौद्ध धर्म के अनुसार पूजा अर्चना भी की। इस अवसर पर भारत तिब्बत सहयोग मंच राजस्थान महिला प्रभारी, पार्षद मधु शर्मा, विश्व हिंदू परिषद के बद्रीलाल सोमानी, रामेश्वर ईनाणी, सत्यनारायण श्रोत्रिय, सुनीता सोनी, आशा नुवाल, रेणु शर्मा भी विशेष रूप से उपस्थित थे। इस दौरान तिब्बत समाज के तेनजिंग मियांक, शेयरिंग ठन्दुप, पासंग डोल्मा, ताशी, शेयरिंग शठन, तेनजिंग थार्केगेल, नीमा गेलपो, कारमा डोल्मा, जांबियाम, ने तिब्बती परम्परा से सभी का दुप्पटा पहना कर, तिब्बती गर्म पेय पीला कर स्वागत किया। स्मरण रहे तिब्बती समाज हर वर्ष शीतकाल में गर्म कपड़ों का व्यापार करने भोपाल क्लब में तिब्बती बाजार लगाकर व्यापार करते है, इसी व्यापार से इनके वर्षभर का जीवनयापन होता है। तिब्बती समाज पूरे विश्व में इस वर्ष दलाई लाम्बा के नब्बे वर्ष के उपलक्ष में करुणा वर्ष मना रहा है।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल
