बाड़मेर (Barmer)राजधानी जयपुर में आयोजित वेदांता जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल इस बार बाड़मेर की कला, शिल्प और लोक-संस्कृति से सराबोर रहा। दो दिवसीय इस आयोजन में जिले के उभरते कारीगरों, महिला उद्यमियों और मांगणियार कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। फेस्टिवल ने बाड़मेर की सांस्कृतिक विरासत को नए स्वरूप में प्रस्तुत करते हुए नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए पहचान का सशक्त मंच प्रदान किया।फेस्टिवल के सांगीतिक कार्यक्रमों में मांगणियार कलाकारों की प्रस्तुतियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। लोक कलाकार ’दरिया और उनकी टीम’ की सुरीली गायकी और ’सज्जाद खान एण्ड टीम’ की खड़ताल व ढोलक की लयकारी ने पूरे वातावरण को मारवाड़ी सुरों से भर दिया। इन प्रस्तुतियों ने बाड़मेर की लोक-संगीत परंपरा की गरिमा और गहराई को दर्शकों के सामने जीवंत कर दिया।आयोजन में ’’जीजी बाई टीम’का कुकीज स्टॉल भी खूब लोकप्रिय रहा। उनके सिग्नेचर कुकीज ने स्वाद और गुणवत्ता से आगंतुकों को प्रभावित किया, वहीं महिलाओं द्वारा संचालित यह पहल स्थानीय स्तर पर उद्यमिता और सशक्तिकरण का प्रेरक उदाहरण बनी।बाड़मेर के युवा कारीगरों ने कढ़ाई, पैचवर्क, मुका-वर्क, एप्लीक-वर्क, बुनाई, लेदर वर्क और पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट जैसे विविध शिल्पों का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। लाइव डेमो में पाँच अलग-अलग पारंपरिक कलाओं की बारीकियों को जानने का अवसर आगंतुकों को मिला, जिसने इस प्रदर्शनी को और भी रोचक बना दिया। लोगों ने बड़ी संख्या में वस्तुएँ खरीदकर शिल्पकारों का उत्साह बढ़ाया।फेस्टिवल में ’बाड़मेर की धरोहर’प्रदर्शनी भी खास आकर्षण बनी। यशोवर्धन शर्मा औैर उनकी टीम’ द्वारा प्रदर्शित दुर्लभ एंटीक वस्तुओं ने आगंतुकों को जिले की पुरातन विरासत से परिचित कराया। संग्रहणीय वस्तुओं की उपलब्धता ने पारंपरिक कला के प्रति रुचि रखने वालों को विशेष रूप से आकर्षित किया।इस वर्ष आयोजन का मुख्य उद्देश्य बाड़मेर के उभरते कारीगरों और मांगणियार कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए उनकी प्रतिभा को सतत आजीविका से जोड़ना था। दो दिवसीय यह कार्यक्रम न केवल दर्शकों के लिए सांस्कृतिक अनुभव बना, बल्कि स्थानीय कलाकारों और कारीगरों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने में भी सफल रहा।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल
