थार नगरी बाड़मेर (Barmer) के ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी असिस्टेंट प्रोफेसर सरिता लीलड़ ने साबित कर दिया है कि मजबूत इच्छाशक्ति और अथक मेहनत से हर सपना साकार हो सकता है। उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) ग्वालियर में कठोर सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट और एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर (ANO) का गौरव प्राप्त किया है। सरिता को ग्वालियर में 75 दिन की ट्रैनिंग के बाद यह गौरव हासिल हुआ है।
सरिता लीलड़ की यह उपलब्धि उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत है जो अपने सपनों को साकार करने का साहस रखती हैं। सरिता लीलड़ के मुताबिक हौसलों की उड़ान से कोई भी आसमान दूर नहीं होता है। वह अपने ट्रैनिंग के पलो को याद करते हुए कहते है कि इस ट्रेनिंग में फिजिकल फिटनेस, हथियार संचालन, मैप रीडिंग, पैराड्रिल और नेतृत्व क्षमता जैसी कठिन परीक्षाओं से होकर गुजरना पड़ा।
पहली महिला एएनो असफर सरिता लीलड़ जब अपने घर पहुँची तो महिलाओं ने मंगल गीत गाकर उनका स्वागत सत्कार किया। उन्होंने ग्वालियर में 75 दिन की कठोर सैन्य ट्रेनिंग पूरी की। सरिता बताते हैं कि हर दिन नया चैलेंज होता था, सुबह 4 बजे से लेकर देर रात तक अभ्यास करवाया जाता था। शारीरिक मेहनत के साथ मानसिक दृढ़ता भी उतनी ही जरूरी थी जिसके बाद उन्हें यह गौरव हासिल हुआ है।
सरिता लीलड़ के पति उम्मेद पंवार व्याख्याता है। जबकि ससुर मोहनलाल पंवार प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त है। सरिता के बाड़मेर पहुँचने पर समाज के मौजिज लोगो ने फूल मालाओं से स्वागत किया। सरिता ने कहा कि परिवार का साथ रहा जिसकी वजह से उन्होंने कठिन परिश्रम से सेना में लेफ्टिनेंट (आर्मी रैंक) प्रदान की गई है।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल