Rajsamand : द्विदिवसीय प्रवास हेतु आचार्यश्री भिक्षु समाधि स्थल में पधारे आचार्य श्री महाश्रमण

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राजसमंद (Rajsamand) जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान ग्यारहवें आचार्यश्री महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ तेरापंथ धर्मसंघ के ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा करते-करते शुक्रवार को सिरियारी में तेरापंथ धर्मसंघ के प्रणेता, आद्य प्रवर्तक आचार्यश्री भिक्षु के समाधि स्थल में पधारे तो मानों हजारों श्रद्धालुओं के आस्था, विश्वास, उमंग व उत्साह को नवीन ऊर्जा का संचार हो गया। जिन नेत्रों ने इस अवसर को साक्षात् निहारने का सौभाग्य प्राप्त किया, वे मानों कृतार्थ हो गईं। तेरापंथ धर्मसंघ के कार्यकर्ता राजकुमार दक ने बताया कि शुक्रवार को प्रातः विद्याभूमि राणावास से तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्यश्री महाश्रमण ने मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री का आज का विहार सिरियारी की ओर हो रहा था। सिरियारी तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम अनुशास्ता, आद्य प्रवर्तक आचार्यश्री भिक्षु की महाप्रयाण स्थली के रूप में विख्यात है। इस अवसर का लाभ उठाने को न केवल पाली अथवा इसके आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु सिरियारी पहुंच रहे थे, अपितु देश के कई अन्य हिस्सों से भी श्रद्धालु यहां पहुंच रहे थे। मार्ग में आचार्यश्री सुरसिंह के गुड़ा गांव में भी पधारे और वहां के लोगों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। सिरियारी में न केवल तेरापंथी श्रद्धालु, अपितु अन्य जैन एवं जैनेतर श्रद्धालु भी महामानव के दर्शन को उत्सुक दिखाई दे रहे थे। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे ही सिरियारी की सीमा में मंगल प्रवेश किया, श्रद्धालुओं ने बुलंद जयघोष से अपने आराध्य का अभिनंदन किया। रावले से राजपूत समाज के लोग भी आचार्यश्री के स्वागत को उपस्थित थे। विशाल जनमेदिनी पर अपने दोनों कर कमलों से आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री महामना आचार्यश्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान परिसर में पधारे। धर्मसंघ कार्यकर्ता राजकुमार दक ने बताया कि आचार्यश्री सर्वप्रथम अपने आद्य अनुशास्ता को श्रद्धा प्रणति अर्पित करने आचार्यश्री भिक्षु के समाधि स्थल पर पधारे। आचार्यश्री ने समाधि स्थल पर कुछ समय के लिए ध्यानस्थ हुए मानों अपने आराध्य से मंगल आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे। कुछ समय उपरान्त आचार्यश्री प्रवास स्थल की ओर पधारे। सिरियारी में विराजमान संतों तथा बहर्विहार से पूज्य सन्निधि में पहुंची साध्वियों ने भी आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। दोदिवसीय प्रवास के लिए यहां पधारे आचार्यश्री महाश्रमण ने श्री भिक्षु समवसरण में उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ में 32 आगम मान्य हैं। अन्य संप्रदाय में और अन्य आगम भी माने जा सकते हैं, किन्तु तेरापंथ धर्मसंघ ने 32 आगमों को प्रमाण के रूप में मान्यता दी है। उन 32 आगमों में 11 अंग, 12 उपांग, चार मूल, चार छेद और एक आवश्यक आगम हैं। इनसे प्राप्त निर्देश या प्रेरणा सम्माननीय हो जाती है। इनमें जो भी सिद्धांत और आचार की बात मिलती है, उसको सम्मान दिया ही जाता है। दसवेंआलियं एक मूल आगम है। हमारे चारित्रात्माओं में दसवेआलियं को कंठस्थ करने का प्रयास किया जाता है। इसमें साधु समाज के लिए विभिन्न मार्गदर्शन प्राप्त होता है। हमारे धर्मसंघ के आद्य अनुशास्ता, प्रथम आचार्य आचार्यश्री भिक्षु स्वामी से जुड़े स्थान में आए हैं। राजनगर, केलवा आदि से होते हुए भिक्षु स्वामी के अंतिम जीवन से जुड़े इस सिरियारी नगर में आए हैं। भिक्षु स्वामी के जीवन को पढ़ें और मनन करें तो पता चल सकता है कि उनमें कैसे अनगार की भावना रही होगी। भगवान महावीर और आचार्यश्री भिक्षु में अनेक समानताएं मिलती हैं। उनके साधना का अपना जीवन था। युवावस्था में संत बनने वाले महात्मा थे। उनके ग्रंथों को देखें तो ज्ञानावरणीय कर्म का विशेष क्षयोपशम था। उन्होंने चतुर्मास के दौरान अनशन किया और इस औदारिक शरीर से मुक्ति प्राप्त की थी। यहां आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने यहां चतुर्मास किया था। आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ के दर्शन करने का अवसर मिला था। आचार्यश्री ने ‘ज्योति का अवतार बाबा, ज्योति ले आया’ गीत का आंशिक संगान किया। इस प्रकार आचार्यश्री भिक्षु स्वामी की स्तवना में अनेक गीतों का आंशिक संगान किया। तीन वर्षों के अंतराल के बाद यहां आना हो गया है। मुनि मुनिव्रत और मुनि धर्मेशकुमार यहां इस समय उपस्थित हैं। अनेक साध्वियां भी यहां पहुंच गई हैं। सभी में अच्छा विकास होता रहे। आचार्यश्री के स्वागत में तेरापंथी सभा-सिरियारी के अध्यक्ष नवीन छाजेड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज ने आचार्यश्री के स्वागत में गीत का संगान किया। आचार्यश्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान के स्वागताध्यक्ष धर्मेन्द्र महनोत ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान के अध्यक्ष निर्मल श्रीश्रीमाल ने अपनी अभिव्यक्ति दी। सिरियारी संस्थान की ओर से भिक्षु जैन पंचाग कैलेण्डर को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया गया।

रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत

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