
जैसलमेर (Jaisalmer) कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई के फिलहाल तो खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जिलाध्यक्ष पद की रायशुमारी के लिए एआईसीसी और पीसीसी की ओर से भेजे गए प्रतिनिधिमंडल के सामने पूर्व मंत्री शाले मोहम्मद और पूर्व विधायक रूपाराम धनदेव गुटों के वक्तव्यों से नहीं लग रहा था कि अध्यक्ष के नाम को लेकर कोई सर्वसम्मति बनेगी। अक्सर सन्नाटे में घिरे रहने वाले कांग्रेस कार्यालय में बुधवार को भारी भीड़ उमड़ी। पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में दोनों गुटों के अलग-अलग बयानों से गुटबाजी बढ़ने के संकेत मिले हैं। पूर्व मंत्री शाले मोहम्मद ने कहा कि कांग्रेस संक्रमण काल से गुजर रही है। संघर्ष का समय है। लेकिन पार्टी में भाजपा विचारधारा के लोग घुस आए हैं जो पार्टी का नुकसान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुबह जो लोग कांग्रेस का चोला पहनते हैं, वे शाम को उसे उतार देते हैं।
दूसरी ओर पूर्व प्रधान अमरदीन फकीर ने संगठन को मजबूत करने की वकालत करते हुए जब यह कहा कि आमराय से एक नाम आगे भेजा जाए तो लगा कांग्रेस एक ट्रेक पर आ रही है, परंतु थोड़ी ही देर में पूर्व जिला प्रमुख अब्दुल्ला फकीर ने स्पष्ट कर दिया कि इस बार कांग्रेस जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक समुदाय से आना चाहिए। उन्होंने कहा जिले में 25 प्रतिशत मतदाता इस समुदाय से आते हैं जो हमेशा कांग्रेस के प्रति वफादार रहे हैं। वहीं पूर्व विधायक रूपाराम ने ऐसे समय में मांग रख दी कि कांग्रेस का जिलाध्यक्ष मूल ओबीसी वर्ग से आना चाहिए क्योंकि उनकी तादाद ज्यादा है। उन्हें अवसर मिलना चाहिए।
क्षेत्रीय सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने आखिर में कांग्रेस की एकजुटता पर जोर दिया और कहा कि कांग्रेसजन आज जितनी तादाद में नजर आ रहे हैं और उनका जो जोश है, उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस को कोई नहीं रोक सकता। दूसरी तरफ एआईसीसी के संयुक्त सचिव सुशांत मिश्रा, प्रदेश कांग्रेस से सारिका सिंह, सागर महावर आगामी दिनों में ब्लॉक स्तर के कांग्रेसजनों के साथ विचार विमर्श कर रायशुमारी करेंगे। शुक्ला ने सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, पूर्व मंत्री शाले मोहम्मद और पूर्व विधायक रूपाराम धनदेव के साथ अलग से भी बैठक कर चर्चा की।
रिपोर्ट- कपिल डांगरा