भरतपुर लोकसभा : भाजपा की नजर हैट्रिक पर

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मुंबई। भरतपुर लोकसभा सीट एससी के लिये आरक्षित सीट है लेकिन इस सीट पर भी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है भरतपुर चूंकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृह जिला है, इसलिये यह लोकसभा सीट अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। भरतपुर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इस सीट पर अब तक हुए 17 लोकसभा के चुनावों में 7 बार कांग्रेस व 6 बार भाजपा व 4 बार अन्य ने विजय हासिल की है।

पिछले दो लोकसभा चुनाव से इस सीट पर जीत दर्ज कर रही भाजपा हैट्रिक लगाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। हालांकि इस सीट पर कभी भी किसी पार्टी हैट्रिक नहीं लगी है। अब देखना यह है कि यह परंपरा टूटती है कि नहीं। इस लोकसभा सीट ने देश को बड़े दिग्गज नेता भी दिए है उनमें बात चाहे इंदिरा गांधी कैबीनेट में मंत्री रहे बाबू राजबहादुर की हो या फिर राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे राजेश पायलट की या विदेश मंत्री रहे कुंवर नटवर सिंह की।

आरक्षण से पहले रहा राज परिवार का दबदबा

वर्ष 2008 में परिसीमन से पहले इस सीट पर तत्कालीन राजपरिवार के सदस्यों का ही दबदबा रहता था राजपरिवार के सदस्य ही भरतपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल करते थे। पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह जो कांग्रेस सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके हैं, 1989 में जनता दल से और 1999 से 2009 तक बीजेपी से सांसद चुने गए थे। पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह यहां से तीन बार सांसद रहे हैं और उनकी पत्नी दिव्या सिंह 1996 में बीजेपी से एक बार सांसद रह चुकी हैं।

उनकी चचेरी बहन कृष्णेंद्र कौर दीपा 1991 में एक बार बीजेपी से सांसद रह चुकी हैं। उनके पिता महाराजा सवाई बृजेंद्र सिंह 1967 में एक बार निर्दलीय सांसद रहे थे और उनके चाचा गिर्राज शरण सिंह 1952 में इस सीट से पहली बार निर्दलीय सांसद चुने गए थे। परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार रतन सिंह चुनाव जीते थे उसके बाद वर्ष 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार बहादुर सिंह कोली और वर्ष 2019 में बीजेपी की रंजीता कोली चुनाव जीती थी। इस लोकसभा सीट में भरतपुर की 7 विधानसभा और अलवर जिले की 1 विधानसभा मिलाकर कुल 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और कुल मतदाताओं की संख्या 21 लाख से ज्यादा है।

भाजपा ने कोली पर फिर जताया भरोसा

भाजपा ने मौजूदा सांसद रंजीता कोली का टिकट काटकर रामस्वरूप कोली को टिकट दिया जा रहा है। कोली पहले भी लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि यह 20 साल पहले की बात है जब वह 2004 में धौलपुर-बयाना लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार थे। उन्होंने यहां से जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्हें कभी भी लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया गया। वहीं कई बार टिकट की मांग करने के बाद साल 2018 में रामस्वरूप कोली को विधानसभा का टिकट दिया गया था लेकिन इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

अब उन्हें 2024 में एक बार और मौका दिया जा रहा है। रामस्वरूप कोली आरएसएस से लंबे समय से जुड़े हैं। माना जा रहा है कि इसी वजह से उन्हें भरतपुर सीट से मौका दिया जा रहा है। उन्होंने 1990 में भुसावर नगर पालिका से पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ा था। इसके बाद वह लगातार तीन बार पार्षद रहे। अब देखना यह है कि पार्टी नेतृत्व ने उनपर जो विश्वास जताया है, वे उसे कायम रख पाते हैं कि नहीं।

युवा संजना से कांग्रेस को करिश्मे की उम्मीद

कांग्रेस ने महज़ 25 साल की संजना जाटव को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह राजस्थान में अब तक घोषित सभी उम्मीदवारों में सबसे कम उम्र की उम्मीदवार हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें अलवर की कठूमर विधानसभा से मैदान में उतारा था, लेकिन वह भाजपा के रमेश खींची से मात्र 409 वोटों से हार गई थीं। जब उन्हें कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उतारा तो किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वह प्रत्याशी बनाई जाने वाली हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी संजना जाटव भरतपुर जिले के भुसावर कस्बे की मूल निवासी 25 वर्षीय संजना जाटव की शादी अलवर की कठूमर विधानसभा क्षेत्र के समूची गांव के रहने वाले पुलिस कांस्टेबल कप्तान सिंह से हुई। वर्तमान में वह अलवर जिले के वार्ड 29 से मौजूदा जिला परिषद सदस्य हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि शायद भाजपा के कम पढ़े प्रत्याशी के सामने एलएलबी संजना को मतदाताओं का समर्थन मिलेगा और उनकी युवा प्रत्याशी यहां पार्टी को जीत दिलाने में सफल होंगी।

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