पाली जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर आबाद दूदिया गांव का एक परिवार पिछले कई दिनों से डर से सहमा हुआ है। जिसकी वजह जमीन और आटा-साटा प्रथा में हुआ विवाह बताया जा रहा है। विवाद दो सगे भाइयों के बीच है। वहीं पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उसकी मदद नहीं की है। इसलिए परिवार को 10 दिन जंगल में रहना पड़ा।
मारपीट में व्यक्ति की पसलियां भी टूट गई हैं, जिन्हें शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया है। पीड़ित परिवार की बेटी का कहना है कि आरोपियों को पुलिस कानूनी रूप से सजा देकर उन्हें न्याय दिलाए। जबकि इस मामले में पुलिस का कहना है कि पीड़ित पक्ष की रिपोर्ट पर तीन जनों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कर लिया है। जांच में पीड़ित परिवार सहयोग नहीं कर रहा। पाली के दूदिया गांव निवासी 25 साल की सुशीला ने बताया कि घटना दो मार्च की है। सुबह के समय उनके पिता चम्पालाल खेत पर गए थे।
जहां उनके भाई मदनलाल ने चम्पालाल से मारपीट की। ग्रामीणों की सूचना पर वह अपने छोटे भाई के साथ मौके पर पहुंची और पिता को बचाया। आरोपियों ने गांव छोड़कर जाने की धमकी दी। घटना को लेकर वे रोहट थाने रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंचे। लेकिन उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है। 51 साल के चम्पालाल पुत्र गणेशराम मेघवाल की तबीयत बिगड़ने पर शहर के बांगड़ हॉस्पिटल में भर्ती करवाया है
पीड़ित सुशीला ने बताया
सुशीला ने बताया कि घर पर वह अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ रहती थी। आरोपियों के मकान उनके पास ही है। उनसे जान का खतरा था। इसलिए दो मार्च से लेकर 10 मार्च तक कभी जंगल और दो दिन पाली के साइंस पार्क में रात बिताई। आरोपियों के डर से घर नहीं गए और खुले आसमान के नीचे सोए। पिता की तबीयत बिगड़ने लगी तो मंगलवार को उन्हें बांगड़ हॉस्पिटल भर्ती करवाया, लेकिन अभी भी आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया।
पत्नी बोली आटा-साटा प्रथा में शादी करने का दर्द 35 साल से झेल रही हूं
घायल चम्पालाल की 45 साल की पत्नी ओमादेवी का दर्द है कि आटा-साटा प्रथा में शादी करने का दर्द वे अभी तक झेल रही हैं। उन्होंने बताया कि उनका मायका चंदलाई गांव है। करीब 35 साल पहले उनकी शादी चम्पालाल से और उनके भाई केवलराम की शादी उनकी ननद गीता से हुई थी। शादी के कुछ साल बाद ही उनके भाई केवलराम मानसिक रूप से बीमार हो गए। इसका दोष उनके जेठ और देवर उन्हें देते हैं।
उनके पति चम्पालाल से कहते है कि हमारी बहन अपने ससुराल में दुखी है। इसलिए ओमादेवी को छोड़ दे। इन्होंने नहीं छोड़ा तो सालों से इस बात को लेकर रंजिश पाले हुए हैं। इसके साथ ही गांव में एक बाड़ा है। जो उनके पति चम्पालाल का है। लेकिन उनके भाई यह कहते है कि यह बाड़ा पिता के हाथ का है। इसलिए इसमें सभी भाइयों का हक है। जबकि ऐसा नहीं है। इसी वजह से वह रंजिश मानते हैं।
एसएचओ बोले मुकदमा दर्ज है, पीड़ित पक्ष मेडिकल के लिए नहीं पहुंचा। मामले में रोहट थाने के एसएचओ सुमेरदान चारण ने कहा कि पीड़ित पक्ष की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर ली है। लेकिन बुलाने के बाद भी पीड़ित पक्ष मेडिकल के लिए अभी तक नहीं पहुंचा।