पिण्डवाड़ा। Madhav University में योग प्राकृतिक चिकित्सा विभाग की ओर से जीवन में मानसून के महत्व विषय पर Workshop आयोजित की गई। योग प्राकृतिक चिकित्सा विभाग के अधिष्ठाता डॉ अनिल योगी की अध्यक्षता में यह कार्यशाला आयोजित हुई। जीवन व जीवन पर मानसून का महत्व को लेकर चर्चा की गई और मानसून के महत्व को लेकर यहां पर जानकारी दी गई।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ अनिल योगी ने कहा कि जल भराव जैसी समस्या से तो सभी परिचित है लेकिन शायद ही लोग जानते होगें कि मानसून प्रकृति की असली खूबसूरती का अनुभव करने के लिए सबसे अच्छे समय में से एक है क्योंकि यह हमें सुंदरता, परमानंद, शांति, सुंदर दृश्य, हरे-भरे जंगल और आनंद प्रदान करता है।
जीवन में मानसून के महत्व को लेकर दी गई जानकारी
जीवन में मानसून के महत्व व्याख्यान देते हुए प्रोफेसर (डॉ) अनिल योगी ने बताया कि वर्षा की बौछारें कुदरत का स्वयं को डिटॉक्स करने का एक तरीका है, यह धरती को गर्मियों की भीषण गर्मी से ठंडा करता है। जीवन में सकारात्मकता और बारिश के बीच एक घनिष्ट संबंध है, क्योंकि यह हमें प्रकृति की सुंदरता से परिचय कराता है। समग्र उपचार और तनाव प्रबंधन के लिए भी मानसून का समय अच्छा है। डॉ योगी ने बताया कि हमें यह भी मालूम होना चाहिए कि मानसून वह मौसम भी है जब शरीर वात दोष असंतुलन में चला जाता है।
बदलते तापमान के कारण सर्दी, खांसी, फ्लू, मलेरिया आदि जैसी सामान्य बीमारियाँ होती हैं। बरसात का मौसम शरीर में विषाक्त पदार्थों के बढ़ने के कारण आपको परेशान करता है। नमी वाला मौसम आपके इम्यून सिस्टम और पाचन तंत्र को कमजोर बनाता है। खासतौर पर कमजारे इम्यूनिटी वाले लोग जल्दी बिमारियों की चपेट में आ जातें हैं। इससे बचने के लिये कुछ योग जैसे सूक्ष्म व्यायाम, भुजंगासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, पश्चिमोत्तानासन, उष्ट्रासन तथा कपालभाति का अभ्यास किया जा सकता है जिससे की इम्यूनिटी में वृद्धि हो सके।
इसके साथ-साथ पके हुए रूप में गर्म खाद्य पदार्थ का सेवन करें, चयापचय को धीमा होने से रोकने के लिए हाइड्रेटेड रहें, अपने दैनिक आहार में गाय का घी, दाल और मूंग को शामिल करें, शहद मिला पानी पिएं हो सके तो अपने आहार में लहसुन और अदरक को शामिल करें क्योंकि इनमें एंटीबायोटिक, एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं।
अंत में प्रोफेसर अनिल योगी ने बताया कि हमें मानसून को आपदा या कहर के रूप नहीं देखना चाहिए, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह प्रकृति का स्वयं को डिटॉक्स करने की कुदरती तरीका है। इस कार्यशाला में विभाग के डॉ निशा, डॉ अभिजीत, डॉ अशोक व डॉक्टर हर्षित मौजूद रहे। इन्होंने भी प्रकृति ,जीवन व जीवन में मानसून का महत्व को लेकर अपने विचार प्रकट किये। इस मौके पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
रिपोर्ट: विक्रम राजपुरोहित