5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बने व्लादिमिर पुतिन

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रूस के राष्ट्रपति चुनाव में व्लादिमीर पुतिन ने बड़ी जीत दर्ज की है. 15-17 मार्च को हुए मतदान में पुतिन को 88% वोट मिले है. पुतिन के विरोधी निकोले खारितोनोव को 4% वोट मिले है. वही, व्लादिस्लाव दावानकोव और लियोनिद स्लटस्की तीसरे और चौथे नंबर पर रहे. पुतिन 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बने है.

चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद व्लादिमिर पुतिन ने कहा, अब रूस और भी ज्यादा ताकतवर और प्रभावशाली बनेगा. पुतिन ने रूस-नाटो विवाद को लेकर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, अगर अमेरिकी नेतृत्व वाला सैन्य संगठन नाटो और रूस आमने-सामने हुए तो दुनिया तीसरे विश्व युद्ध से एक कदम दूर होगी. मुझे नहीं लगता की कोई भी ऐसा कुछ चाहेगा.

पहली बार 2000 में राष्ट्रपति बने थे पुतिन

जानकारी के मुताबिक, व्लादिमिर पुतिन साल 2000 में पहली बार रूस के राष्ट्रपति बने थे। तब उन्होंने 53% वोट के साथ जीत दर्ज की थी. पुतिन वर्ष 2008 तक राष्ट्रपति पद बने रहे. वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति मेदवेदेव ने अपनी पार्टी से पुतिन को एक बार फिर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए नॉमिनेट करने को कहा. इसके बाद 2012 के चुनाव में पुतिन ने जीत दर्ज की और सत्ता में लौट आए. तब से अब तक पुतिन राष्ट्रपति बने हुए है.

2012 में फिर से बने रूस के राष्ट्रपति पुतिन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस में कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता है. ऐसा रूसी संविधान में लिखा है. इसी के चलते साल 8 मई 2008 में पुतिन ने अपने प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव को रूस का राष्ट्रपति बनवाया और वह खुद प्रधानमंत्री बन गए थे. वही, नवंबर 2008 में दिमित्री ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रपति का कार्यकाल का 4 से 6 साल तक बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन कर दिया. इसके बाद वर्ष 2012 में पुतिन फिर से राष्ट्रपति बन गए.

2036 तक रूस के राष्ट्रपति रह सकते हैं पुतिन

बता दे कि साल 2014 में व्लादिमिर पुतिन ने क्रीमिया पर हमला करके उस पर कब्जा कर लिया. जनवरी 2020 में पुतिन ने संविधान संशोधन के जरिए दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रहने की सीमा खत्म कर दी. जिसके बाद पुतिन के 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया. इससे पुतिन सोवियत संघ पर करीब तीन दशकों तक राज करने वाले स्टालिन से आगे निकल जाएंगे.

रूस की पॉलिटिकल सिस्टम

आपको बता दे, रूस की संसद जिसे फेडरल असेंबली कहते हैं. इसके भी भारत की तरह 2 हिस्से हैं. ऊपरी सदन को काउंसिल ऑफ फेडरेशन कहा जाता है और निचला सदन स्टेट डुमा। रूस में राष्ट्रपति का पद सबसे पावरफुल होता है. भारत में प्रधानमंत्री की जो भूमिका रूस में राष्ट्रपति की है. सत्ता की नजर से दूसरा सबसे पॉवरफुल शख्स प्रधानमंत्री होता है. तीसरा सबसे पॉवरफुल शख्स संघीय परिषद (उच्च सदन) का अध्यक्ष होता है.

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