नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत ने उत्तराखंड सरकार को बुधवार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि जंगल की आग को काबू में करने का राज्य का दृष्टिकोण चिंताजनक है। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा है।
पीठ में न्यायमर्ति एस. वी. एन. भट्टी और न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल हैं। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि कई योजनाएं तैयार की जाती हैं लेकिन कदम कोई भी नहीं उठाए जा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने वन विभाग में भारी रिक्तियों के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि पदों को भरने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
उत्तराखंड के यह इलाके संवेदनशील
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, बेड़ीनाग, डीडीहाट, अस्कोट, धारचूला, मुनस्यारी रेंज हैं। इसमें डीडीहाट रेंज आग की दृष्टि से सबसे अधिक संवेदनशील है। चंपावत वन प्रभाग के अंतर्गत जिले के पाटी ब्लॉक में इस बार आग की घटनाएं अधिक हुईं हैं।
इस प्रभाग में भिंगराड़ा चीड़ बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण अधिक संवेदनशील बना हुआ है। अल्मोड़ा में जागेश्वर, सोमेश्वर, रानीखेत, मोहान, अल्मोड़ा, द्वाराहाट रेंज सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
नवंबर से आग की 930 घटनाएं
प्रदेश में नवंबर 2023 के बाद से छह मई तक जंगल की आग की 930 घटनाएं हो चुकीं हैं। इसमें गढ़वाल में 365, कुमाऊं में 491 और वन्यजीव क्षेत्र में 74 घटनाएं हुईं हैं। इन घटनाओं में 1196.48 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वनों को नुकसान हुआ है।