Pali News: कुत्तों का बढ़ा आतंक, मासूम को काटा, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती

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राजस्थान के पाली में घर के बाहर खेल रहे 3 साल के मासूम पर डॉग ने हमला कर गंभीर घायल कर दिया। जिसे इलाज के लिए पाली के बांगड़ हॉस्पिटल लाया गया। जहां उसका इलाज जारी है। जानकारी के अनुसार पाली जिले के सिनला गांव (सोजत रोड) निवासी 3 साल का मासूम नारायण पुत्र ढगलाराम देवासी घर के बाहर खेल रहा था। इस दौरान अचानक एक डॉग ने उस पर हमला कर दिया।

बच्चे के चिल्लाने की आवाज सूनकर परिजन बाहर आए और उसे डॉग के चंगुल से छुड़ा कर पाली के बांगड़ हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां उसका इलाज जारी है। डॉग ने मासूम के हाथ-पैर से सहित चेहरे पर भी काटा। जिससे उसकी एक आंख की पलक पर भी चोट आई।

बता दे कि पाली में लगातार डॉग बाइट के मामले बढ़ते जा रहे है। गत दिनों मंडिया गांव में दूध लेकर घर आ रहे 10 साल के लड़के को और आदर्श नगर में खेल रहे बच्चों पर भी डॉग ने हमला किया था। लेकिन डॉग पकड़ने को लेकर स्थानीय निकाय कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रही।

कुत्ते लोगों को क्यों काटते हैं?

जानकारी के मुताबिक, कुत्ते कई कारणों से और कई अलग-अलग स्थितियों में काट सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब कोई दो- महीने का कुत्ता खेलना सीख रहा हो तो वह काट सकता है। अगर किसी सोते हुए कुत्तें को जगा दिया जाए तो वह काट सकता है। यदि कुत्ता खुद को तनावपूर्ण स्थिति में पाता है, तो वह अपनी या अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए काट सकता है। यदि कुत्ते की तबीयत ठीक नहीं है तो वह काट सकता है। इसके वाला कुत्ते तब भी काट सकते हैं जब वे भोजन नही मिल पा रहा हो।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार, हर वर्ष करीब 55 हजार लोग कुत्तों के काटने के बाद रेबीज होने से जान गंवा बैठते हैं। एशिया और अफ्रीका में कुत्तों के काटने के सबसे ज्यादा केस आते हैं। वही, भारत में रेबीज़ के केस और उनसे होने वाली मौतों के करीब 30 से 60 प्रतिशत केस 15 वर्ष से कम ऐज के बच्चों के हैं। 90 प्रतिशत रेबीज इन्फेक्शन कुत्ते के काटने के कारण फैलता है। सबसे ज्यादा मौत भी कुत्ते के काटने के कारण फैले संक्रमण से होती है।

कुत्ता काट ले तो क्या करें

जिस दिन कुत्ते ने काटा उस दिन, तीसरे दिन, 7वें दिन, 14वें दिन और फिर 28वें दिन एंटी-रेबीज का इंजेक्शन लगते हैं। यानि कुल 5 पांच इंजेक्शन लगते हैं। रेबीज का एक इंजेक्शन 300-400 रुपये का लगता है। इससे पहले एक इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन भी लगता है। जो भारत के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त लगाया जाता है।

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