तिलस्वां महादेव मंदिर ट्रस्ट की ओर से सात दिवसीय मेला 26 से, होगे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

6 Min Read
तिलस्वां महादेव मंदिर ट्रस्ट की ओर से सात दिवसीय मेला 26 से

भीलवाड़ा। अरावली पर्वत श्रृंखलाओं में प्रकृति की गोद में बसा प्रमुख शिवधाम तिलस्वां महादेव जन-जन की आस्था का केंद्र है। भीलवाड़ा जिले से 88 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश की सीमा के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर सलावटिया से 9 किलोमीटर पूर्व की ओर स्थित तिलस्वां महादेव में चारों तरफ से श्रद्धालु पहुंचते हैं। राजस्थान को प्राकृतिक रुप से सुन्दर बनाने वाले सैन्ड स्टोन के पत्थरों के बीच ऐरू नदी के तट स्थित भव्य पत्थर की नक्काशी से बने द्वार, कलाकृति युक्त निर्माण यहां आपका स्वागत करते हैं। पारंपरिक आतिथ्य और भक्तों के असीम विश्वास का मिला-जुला संगम इस तीर्थ पर सहज ही देखने को मिलता है। कथा के अनुसार महाबली रावण अपनी तपस्या के बल पर अपने साथ शिवलिंग लेकर चल रहे थे। उन्हें यह पता था कि शिवलिंग को भूमि पर कहीं रख दिया जाए, तो वह वहीं पर स्थापित हो जाएगा।

मार्ग में लघुशंका से निवृत्त होने के दौरान, इस शर्त के अनुसार उन्होंने पास ही में मौजूद एक ग्वाले से थोड़ी देर शिवलिंग संभालने के लिए कहा। अधिक देरी होती देख ग्वाला उस शिवलिंग को वहीं रखकर चला गया। तथ्यानुसार शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया। महाबली रावण इस स्थिति में क्रोध से भर उठे और उन्होंने इस पर अपनी मुष्टिका से प्रहार किया। यही कारण है कि यह शिवलिंग भूमि के अन्दर धंसी हुई अवस्था में दिखाई देता है। वर्तमान तिलस्वां तीर्थस्थल से एक किलोमीटर उत्तर दिशा में महुपुरा ग्राम व दक्षिण में खेड़ली के बीच में तिलस्वां महादेव मंदिर स्थित है। किवदंतियों के अनुसार हूण राजा को शरीर पर कुष्ठ निकल आया था।

इस व्याधि के निवारणार्थ अनेक स्थानों पर जाने के बाद, बिजौलियां स्थित मंदाकिनी कुण्ड में स्नान करने पर उनका कुष्ठ रोग ठीक तो हो गया, लेकिन एक तिलमात्र के रुप में वह शरीर पर रह जाता था और आगे चलकर पुनरू शरीर में फैल जाता था। इस स्थिति में एक बार राजा को स्वप्न में भगवान शंकर ने दक्षिण दिशा में स्थित पवित्र नदी में स्नान कर विधिवत पूजन, अर्चना करने को कहा। राजा ने तद्नुसार स्नान, पूजन, अर्चन किया और उनके शरीर पर फिर तिलमात्र भी कुष्ठरोग नही रहा। तभी से यहां के महादेवजी का नाम तिलस्वां महादेव है।

मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर एक कुण्ड जो स्नानार्थ उपयोग में आता है व मध्य कुण्ड है जिसके जल से महादेवजी का अभिषेक किया जाता है। यहां संगमरमर से निर्मित मां गंगा का मंदिर है। यहां पहुंचने के लिए पुल का निर्माण किया गया है। पुल के दोनों तरफ छतरियों का निर्माण किया गया है। कुंड की बाईं ओर स्थित छतरी में पुजारी भंवरलाल पाराशर की प्रतिमा विराजित है। प्रवेश द्वार के पास हनुमान मंदिर है। महाशिवरात्रि पर तिलस्वां महादेव में 26 फरवरी से सात दिवसीय मेले की शुरुआत होगी। तिलस्वां महादेव मंदिर ट्रस्ट की ओर से सात दिवसीय मेलें में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

दर्शन व आराधना, प्रार्थना से हो जाते हैं व्यक्ति रोग मुक्त

मान्यता है कि यहां दर्शन व आराधना, प्रार्थना से व्यक्ति रोग मुक्त हो जाते हैं। यहीं से आगे मुख्य शिव मंदिर की ओर जाने का मार्ग है। मुख्य मंदिर की बांई ओर मां अन्नपूर्णा का मंदिर है व तोरण द्वार, शनि मंदिर, भगवान विष्णु का मंदिर है। मुख्य मंदिर के दाईं ओर श्री गणेश मंदिर, महाकाल मंदिर, सूर्य मंदिर है। मंदिर के पार्श्व में शिव परिवार की छतरियां हैं। मुख्य मंदिर में प्रवेश करने पर आपको सभागृह दिखाई देता है यहां महादेवजी की गादी है। दूसरी तरफ भोग प्रसाद के लिए हवन वेदी मौजूद है। मंदिर में आस्था की प्रतीक अखण्ड ज्योति के दर्शन भी होते हैं।

ट्रस्ट की देखरेख में मंदिर निर्माण व विकास कार्य जारी

गत तीन दशकों से ट्रस्ट की देखरेख में मंदिर निर्माण व विकास कार्य जारी है। मंदिर ट्रस्ट का गठन पूर्व जिला प्रमुख कन्हैयालाल धाकड़ के सान्निध्य में किया गया। वर्तमान में तिलस्वां महादेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष रमेशचंद्र अहीर, संरक्षक कन्हैयालाल धाकड़ एवं महासचिव मांगीलाल धाकड़ है। इसके अलावा मंदिर के आजीवन ट्रस्टी घनश्याम पाराशर, गिरधर पाराशर, रमेशचन्द्र पाराशर, पूर्णाशंकर पाराशर व नरेश पाराशर हैं।

जोर-शोर से चल रही मेले की तैयारी

बिजोलिया उपखंड अधिकारी अजीत सिंह राठौड़ ने बताया कि तिलस्वां महादेव मंदिर परिसर में विशाल मेले का आयोजन होता है। तिलस्वा महादेव संपूर्ण ऊपरमाल क्षेत्र में श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है बड़ी संख्या में श्रद्धालु मेले में आते हैं सात दिवसीय मेला आयोजित होता है महाशिवरात्रि के दिन तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं प्रतिवर्ष की भांति यहां का उपखंड प्रशासन है बेहतरीन मिलेगी समूचे व्यवस्था कर रहा है। मंदिर कमेटी में जो ट्रस्ट बना हुआ है मेले में बहुत बड़ी भूमिका रहती है। तिलस्वा महादेव मंदिर ट्रस्ट व तिलस्वां ग्राम पंचायत की भी बहुत बड़ी भूमिका रहती है। मेले में सुरक्षा की माकूल व्यवस्था के लिए पुलिस जाप्ता का भी बंदोबस्त रहता है मेले की तैयारी के लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए थे। तिलस्वां महादेव मेले दर्शन करने लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

रिपोर्ट – पंकज पोरवाल

Share This Article
Follow:
Jagruk Times is a popular Hindi newspaper and now you can find us online at Jagruktimes.co.in, we share news covering topics like latest news, politics, business, sports, entertainment, lifestyle etc. Our team of good reporters is here to keep you informed and positive. Explore the news with us! #JagrukTimes #HindiNews #Jagruktimes.co.in
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version