मुंबई। महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट का इतिहास भी काफी पुराना एवं गौरवशाली है। सतारा शाहूजी महाराज के वंशजों की राजधानी एवं छत्रपति शिवाजी का निवास स्थान रहा। यहां शिवाजी महाराज का भव्य किला भी मौजूद है। सतारा में छत्रपति शिवाजी के वंशजों का शासन भी रहा। इस शासन के पहले राजा प्रताप सिंह थे। इन्हें 1838 को राजगद्दी से हटा दिया गया था। बात यदि इस सीट के राजनीतिक इतिहास की करें, तो सतारा लोकसभा सीट 1951 में ही अस्तित्व में आ गई थी।
साल 1951 में इस सीट से दो संसद सदस्य चुने गए। इनमें गणेश अल्तेकर और वेंकट राव पवार शामिल थे। 1957 में इस सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नाना रामचन्द्र पाटिल चुनाव जीते। 1962 में कांग्रेस के किसान महादेव वीर, 1967, 1971 और 1977 में कांग्रेस पार्टी के यशवंतराव चव्हाण सांसद चुने गए। बाद में यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (यू) में शामिल हो गए और 1980 में फिर से इसी सीट पर सांसद बने। 1984, 1989 और 1991 में कांग्रेस के प्रतापराव भोसले ने यहां से चुनाव जीता।
साल 1996 में इस सीट पर शिवसेना ने कब्जा किया। पार्टी ने हिंदूराव नाईक निंबालकर को टिकट दिया और वह चुनाव जीते। 1998 में यह सीट फिर से कांग्रेस के खाते में चली गई और अभय सिंह भोसले विजयी हुए। साल 1999 में इस सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अपना जीत का परचम लहराया जो वर्तमान में भी कायम है। 1999 और 2004 में राकांपा के लक्ष्मणराव पाटील, 2009, 2014 और 2019 में उदयनराजे भोसले सांसद चुने गए। अक्टूबर 2019 में उदयनराजे भोसले ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया।
2019 में फिर इस सीट पर उपचुनाव हुआ। राकांपा के 2014 श्रीनिवास पाटिल ने यह चुनाव जीत लिया। राकांपा (शरदचंद्र पवार) प्रमुख एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार सतारा से ही आते हैं। सतारा लोकसभा सीट के विधानसभा की 6 सीटें वई, कोरेगांव, कराड उत्तर, सतारा, कराड दक्षिण और पाटन आती हैं।
सैनिकों का शहर, किताबों वाला गांव
सतारा लोकसभा सीट का चुनावी राजनीति से अलग भी अपनी विशिष्ट पहचान है। सतारा की पहचान सैनिकों के शहर के रूप में भी की जाती है। इसका प्रमुख कारण यह हैं कि इस जिले के युवा भारी संख्या में भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके साथ ही सतारा का भिलार गांव की अपनी अलग ख्याति है। भिलार ‘किताबों वाला गांव’ के नाम से बेहद प्रसिद्ध है। यहां आने वाले पुस्तक प्रेमियों के लिए गांव के हर घर में एक कमरा बना है। भिलार गांव में दूसरी जगहों से पहुंचे पुस्तक प्रेमी बड़ी संख्या में आते हैं, जो किसी भी घर में बैठकर किताबें पढ़ सकते हैं। यहां अलग-अलग विषयों की लाखों किताबें है।
जीत का चौका लगा भोसले खिलाएंगे पहली बार कमल!
भारतीय जनता पार्टी ने सतारा से क्षत्रपति उदयनराजे भोसले को टिकट दिया है। छत्रपति उदयनराजे भोसले सतारा सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं। 2019 में शरद पवार का साथ छोड़कर वे बीजेपी में शामिल हुए थे। सतारा लोकसभा सीट पर बीजेपी का कभी खाता नहीं खुला है। बीजेपी ने खाता खोलने के मकसद से उदयनराजे भोसले को टिकट दिया है। भाजपा को विश्वास को उम्मीद है कि उदयनराजे अपने इतिहास को कायम रखते हुए चौथी बार जीत दर्ज करेंगे और इस सीट को पहली बार भाजपा की झोली में डालने में सफल साबित होंगे।
उदयनराजे 1998 से 1999 तक महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य थे और भाजपा का हिस्सा थे। इस दौरान भाजपा-शिवसेना की सरकार के दौरान उन्हें महाराष्ट्र में रेवेन्यू मिनिस्ट्री दी गई थी। हालांकि, बाद में वह शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो गए थे। साल 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सतारा लोकसभा में एनसीपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। लेकिन, सितंबर 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने फिर भाजपा में वापस लौटने का फैसला किया और एनसीपी से इस्तीफी दे दिया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के नरेंद्र अन्नासाहेब पाटिल को 126,528 वोटों से पराजित करने वाले भोसले को 2019 में ही हुए उप चुनाव में राकांपा के श्रीनिवास पाटिल से 87,717 मतों से पराजय का मुंह देखना पड़ा था। इसके बाद साल 2020 में उन्हें महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए भेजा गया था। भोसले आम जनता में बेहद लोकप्रिय हैं। आज भी जनता इन्हें राजा उदयन के नाम से पुकारती है। इनके लिए कहा जाता है कि वे चुनावों के दौरान भी जनता के बीच वोट मांगने नहीं जाते हैं। बल्कि जनता खुद उनके पास आकर अपना समर्थन देती है। यही कारण है कि भाजपा ने उन पर पूरा विश्वास करते इस सीट पर अपनी जीत देख रही है।
पवार के पावर भरोसे शशिकांत शिंदे दर्ज करेंगे जीत!
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) ने सतारा लोकसभा क्षेत्र के लिए एमएलसी शशिकांत शिंदे को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी के उम्मीदवार श्रीनिवास पाटिल की जीत हुई थी। लेकिन, राकांपा में हुई फूट के बाद सांसद श्रीनिवास पाटिल राकांपा यानी अजीत पवार गुट में शामिल हो गए थे। हालांकि महायुति ने उनको टिकट न देते हुए भाजपा की ओर से उदयराजे भोसले को टिकट दिया गया है।
शशिकांत शिंदे पूरी तरह शरद पवार के कामों को याद करते हुए जनता के बीच लोगों से वोट मांग रहे हैं। लोगों का एक वर्ग अभी भी पूरी मजबूती के साथ शरद पवार के साथ खड़ा है। स्थानीय मंडियों, डेयरी संगठनों, कोऑपरेटिव सोसाइटी, बाजारों और कर्मचारियों के यूनियन में अभी भी शरद पवार के गुट के लोग प्रभावी भूमिका में हैं।
वोट डलवाने में इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। स्थानीय विधायकों में भी शरद पवार गुट प्रभावी है। जमीनी कार्यकर्ताओं की यह मजबूती शरद पवार गुट के उम्मीदवार शशिकांत शिंदे के पक्ष में जाती है। हालांकि व्यक्तिगत रूप से शिंदे का कद छत्रपति भोसले के समक्ष छोटा जरूर है। लेकिन शरद पवार के प्रभाव के चलते वे पूरे जोश के साथ ताल ठोक रहे हैं। अब देखना यह है कि इस सीट पर पवार का पावर चलता है या मोदी का करिश्मा।
अजीत कुमार राय/जागरूक टाइम्स