मुंबई। सांगली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र के 48 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। 1952 में देश के लिए हुए लोकसभा निर्वाचन में इस सीट का गठन नहीं हुआ था। 1957 में दूसरे संसदीय निर्वाचन में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया। इस संसदीय सीट पर कांग्रेस का एक छत्र राज रहा है. यहां लगातार 52 साल तक कांग्रेस ने अपनी जीत बरकरार रखी. पार्टी के 15 बार इस सीट से सांसद रहे. कांग्रेस के प्रकाशबापू पाटिल सबसे ज्यादा 5 बार सांसद पद के लिए चुने गए.
सांगली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में जिले की मिरज, सांगली, पलुस-काडेगांव, खानापुर, तासगांव-कवथे महांकाल और जात विधानसभा शामिल हैं. इस सीट पर साल 1962 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व कायम रहा. यह सीट साल 1957 में अस्तित्व में आई. भारत की किसान एवं श्रमिक पार्टी के बलवंत पाटिल [ए] पहले सांसद चुने गए. 1962 में कांग्रेस पार्टी ने जीत का ऐसा झंडा बुलंद किया जो 52 साल तक लहराता रहा.
1962 में कांग्रेस के विजयसिंहराजे डफळे, 1967 में एसडी पाटिल, 1971 और 1977 में गणपति टी गोटखिंडे, 1980 में वसंतदादा पाटिल, 1983 के उपचुनाव में शालिनी पाटिल, 1984, 1989 और 1991 में प्रकाशबापू पाटिल, 1996 और 1998 में मदन पाटिल, 1999 और 2004 में प्रकाशबापू पाटिल, 2006 के उपचुनाव और 2009 में प्रतीक पाटिल कांग्रेस पार्टी से सांसद रहे. साल 2014 में इस सीट पर मोदी मैजिक का असर हुआ. 52 साल बाद यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई. यहां से भारतीय जनता पार्टी के संजय पाटिल सांसद बने.
उन्हें 6,11,563 वोट मिले. उन्होंने कांग्रेस के प्रतीक प्रकाश पाटिल को 2,39,292 वोटों से हराया था. प्रतीक प्रकाश को 3,72,271 वोट मिले. 2019 में भी संजय पाटिल जीत हासिल करने में कामयाब रहे. इस बार उन्हें 508,995 वोट मिले. एसडब्ल्यूपी के विशाल पाटिल को 3,44,643 और वीबीए के प्रत्याशी गोपीचंद पडलकर को 3,00,234 वोट मिले थे.
संजयकाका पाटिल की हैट्रिक पर नजर
मौजूदा सांसद संजयकाका पाटिल एक बार फिर से भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। विगत दो चुनावों से जीत दर्ज कर रहे पाटिल इस बार भी जीत दर्ज कर अपना नाम हैट्रिक लगाने वाले नेताओं में शुमार कराना चाहेंगे। मौजूदा सांसद संजय काका पाटिल ने 2014 के चुनाव में पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल को 239, 292 वोटों से पराजित किया था। संजय काका पाटिल को यहां 611, 563 वोट हासिल हुए थे तो वहीं प्रतीक प्रकाश बापू पाटिल को 372,271 वोटों पर संतोष करना पड़ा था।
वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के टिकट पर लड़े विशाल प्रकाशबापू पाटिल को 1,64,352 वोटों से पराजित किया था। इस चुनाव में संजय काका पाटिल को 5,08,995 वोट तो विशाल पाटिल को 3,44,643 वोट मिले थे। इस सीट से प्रकाश पाटिल के फिर से चुनावी मैदान में होने तथा शिवसेना (यूबीटी) द्वारा चंद्रहार सुभाष पाटिल को उम्मीदवार बनाने से भाजपा के लिए राह थोड़ी आसान दिखाई दे रही है।
भाजपा के पाटिल को दो-दो पाटिल की चुनौती
पिछले लोकसभा चुनाव में नंबर दो पर रहने वाले विशाल पाटिल एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। हालांकि उन्हें किसी पार्टी की सिंबल नहीं मिला है। इस लोकसभा चुनाव में वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में दम ठोक रहे हैं। क्योंकि महाविकास आघाड़ी के प्रमुख घटक दल शिवसेना (यूबीटी) द्वारा चंद्रहार सुभाष पाटिल को इस सीट से गठबंधन का अधिकृत उम्मीदवार बनाया गया है। लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट को उद्धव ठाकरे को देने से कांग्रेस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में बेहद नाराजगी का माहौल है।
यहां तक कांग्रेस के स्थानीय नेता अभी भी इस सीट से अपना उम्मीदवार खड़ा करने की मांग कर रहे हैं। प्रकाश पाटिल के मैदान में दम ठोंकने तथा मविआ में चल रहे अंतर्विरोध के चलते इस सीट से विपक्ष के लिए आसार कुछ अनुकूल नहीं दिखाई दे रहे हैं। अब देखना यह है कि वर्तमान सांसद पाटिल को विपक्षी उम्मीदवार कितना टक्कर दे पा रहे हैं।
अजीत कुमार राय / जागरूक टाइम्स