
बाड़मेर। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के उपलक्ष्य में भारतीय सेना के परिवारों की महिलाओं को राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित रूमा देवी (Ruma Devi) से रुबरू करवाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम बाड़मेर तथा जोधपुर में आयोजित किया गया। बाड़मेर में कार्यक्रम के दौरान सैन्य कर्मियों की परिवारजनों ने क्राफ्ट सेंटर का दौरा किया और बाड़मेर की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को नजदीक से समझा। उन्होंने हुनरमंद महिला दस्तकारों से संवाद किया और उनके द्वारा तैयार किए गए हस्तशिल्प उत्पादों को देखा।
कार्यक्रम के तहत क्राफ्ट प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जहां महिलाओं को विभिन्न प्रकार के पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों की जानकारी दी गई। दस्तकारों ने लाइव डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से बारीकियों को समझाया, जिससे आगंतुकों को यह अनुभव हुआ कि किस प्रकार स्थानीय महिलाएं अपनी कड़ी मेहनत और हुनर के बल पर आत्मनिर्भर बन रही हैं।
कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय फैशन डिजाइनर और समाजसेविका रूमा देवी ने उपस्थित सैन्य परिवारों की महिलाओं को संबोधित किया। उन्होंने अपने जीवन संघर्ष की प्रेरक कहानी साझा करते हुए बताया कि किस तरह विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने न केवल स्वयं को सशक्त किया, बल्कि हजारों ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं से कहा कि हर चुनौती का डटकर सामना करें और अपने कौशल के माध्यम से एक नई पहचान बनाएं।
इंदु तौमर ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि रूमा देवी ने थार की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जो योगदान दिया है, वह अनुकरणीय है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार रूमा देवी के मार्गदर्शन में सैकड़ों महिलाएं आज आर्थिक रूप से सशक्त हो चुकी हैं और अपने परिवारों के लिए सम्मानजनक जीवनयापन कर रही हैं।
फाउंडेशन की ओर से अनीता चौधरी ने क्राफ्ट सेंटर की गतिविधियों और महिला दस्तकारों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केंद्र महिलाओं को हुनर सिखाने के साथ-साथ उन्हें बाज़ार से जोड़ने का भी कार्य कर रहा है, जिससे वे अपनी कला को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा पा रही हैं।
सेना की ओर से इंदु तौमर व श्रीमती नेहा के नेतृत्व में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के सफल संचालन में फाउंडेशन की ओर से कमला, कविता, अनीता चौधरी, सुगनी देवी, खातूदेवी, प्रमिला, परमेश्वरी और वरजू देवी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। साथ ही, बड़ी संख्या में दस्तकार माताएं और बहनें उपस्थित रहीं, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए और इस आयोजन को सफल बनाया।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल