
राजसमंद (Rajsamand) अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के राज्य व्यापी आंदोलन के तहत 11 सूत्री मांग पत्र की मांगो पर सकारात्मक कार्यवाही नहीं करने एवं संवादहीनता के विरोध में जिला कलेक्टर के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन देकर मांगों पर अविलम्ब कार्यवाही नहीं होने पर अगले चरण के चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी। महासंघ के जिला महा मंत्री रघुराज सिंह झाला ने बताया कि सरकार के द्वारा अधीनस्थ सेवाओं के कर्मचारियों के साथ मापदंड अपनाए जा रहे हैं। अधीनस्थ सेवाओं के कर्मचारियों की खेमराज समिति की रिपोर्ट के आधार पर ना हीं तो वेतन विसंगतियां दूर की गई है एवं ना ही पदोन्नति विसंगतियां दूर की जा रही है। अधीनस्थ सेवाओं के कर्मचारियों को पूरी सेवा काल में एक भी पदोन्नति का अवसर नहीं मिल रहा है। महासंघ से सम्बद्ध एएनएम एल एच वी, पशुधन निरीक्षक, शारीरिक शिक्षा अध्यापक ग्रेड तृतीया, नर्सिंग ऑफिसर, ग्राम विकास अधिकारी, तृतीय श्रेणी अध्यापक, पटवारी, कनिष्ठ नर्सिंग कंपाउंडर आयुर्वेद कांस्टेबल, सूचना सहायक, कृषि पर्यवेक्षक, वनरक्षक,संगणक, वर्क चार्ज कर्मचारी एवं सहायक कर्मचारी आदि संवर्गों के मात्र 10 से 20 प्रतिशत पदोन्नति के पद है जिससे इनकी प्रथम पदोन्नति भी 15 से 20 वर्ष में होती है तथा द्वितीय पदोन्नति तो बहुत ही कम कर्मचारियों की होती है। यह बहुत बड़ी पदोन्नति विसंगति है। प्रत्येक संवर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति के पांच अवसर उपलब्ध करवाये जाए या सहायक कर्मचारी सहित प्रत्येक कर्मचारी को पदोन्नति के पांच अवसर नहीं होने की स्थिति में 7, 14, 21, 28 एवं 32 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति पद का वेतनमान स्वीकृत किया जावे। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारियों की उदसीनता के कारण वर्षों से पदोन्नतियां भी लंबित है। शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षकों एवं शारीरिक शिक्षकों, पशु पालन विभाग, पंचायती राज विभाग, वन विभाग, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग, राजस्व विभाग, कृषि विभाग, आयुर्वेदिक चिकित्सा विभाग आदि में 4 से 5 पदोन्नति वर्षों की पदोन्नतियां लंबित है। विभिन्न संवर्गों की पदनाम परिवर्तन की मांग पर सरकार द्वारा पिक एंड चूज की पॉलिसी अपनाई जा रही है जो न्यायोचित नहीं है, प्रत्येक संवर्ग की मांग पर व्यावहारिक एवं सम्मानजनक पदनाम परिवर्तन किये जाये। प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू हो चुकी है अतः एनपीएस में काटे गए 53 हजार करोड रुपए जीपीएफ खातों में जमा करवाये जावे। वेतन विसंगति दूर करते हुए कार्मिकों का न्यूनतम वेतनमान 26 हजार निर्धारित करवाना एवं ग्रामीण क्षेत्र के कार्मिकों को मूल वेतन का 10 प्रतिशत ग्रामीण भत्ता स्वीकृत करवाना महासंघ कि मुख्य मांग है। संविदा एवं आउटसोर्स पर नियुक्तियां बंद की जावे तथा सभी संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जावे, समस्त विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में रिक्त पदों को नियमित नियुक्तियों से भरा जावे। समस्त विभागों के लिए पारदर्शी स्थानांतरण नीति लागू करते हुए तृतीय श्रेणी शिक्षकों के वर्षों से लंबित स्थानांतरण किये जावे। आरजीएचएस योजना में की जा रही कटौतियों को बंद किया जावे एवं योजना को मूल स्वरूप में पुनः लागू किया जावे। महासंघ के जिलाध्यक्ष राजेश जोशी ने बताया कि इन मांगों को लेकर महासंघ ने चरण बद्ध आंदोलन का निर्णय किया है। जिसमें प्रथम चरण में 23 सितंबर मुख्य सचिव को आंदोलन का नोटिस ज्ञापन दिया जा चूका है। द्वितीय चरण में आज 6 अक्टूबर 2 को जिला स्तर पर ज्ञापन एवं तैयारी बैठके आयोजित की गई। तृतीय चरण में 7 अक्टूबर 2 से 17 अक्टूबर तक कर्मचारी जागरण अभियान चलेगा। चतुर्थ चरण में 15 अक्टूबर को जिला स्तर पर चेतावनी धरना, पंचम चरण में 30 अक्टूबर से 20 नवंबर तक संपूर्ण प्रदेश में संघर्ष चेतना यात्रा निकाली जायेगी। इस अवसर पर महासंघ के घटक संगठनों के पदाधिकारी कृषि पर्यवेक्षक संघ जिलाध्यक्ष रघुराज सिंह झाला महासंघ नाथद्वारा ब्लॉक अध्यक्ष शंभू लाल सीरवी आयुर्वेद परिचारक संघ जिला अध्यक्ष हरिशंकर जोशी ए एन एम एल एच वि संघ जिला अध्यक्ष गायत्री वैष्णव, सूचना प्रोद्योगिकी संघ प्रदेश प्रतिनिधि गोपाल यादव, कानूनगो संघ सी हरलाल पुरबिया,मनराज सिंह मीणा ,रोहित खटीक,शिव शंकर सालवी सहित सभी संगठन के पदाधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत