
राजसमंद( Rajsamand) जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें आचार्यश्री महाश्रमण ने सोमवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में मगरतलाब से मंगल प्रस्थान किया। वातावरण में शीतलता व्याप्त थी, किन्तु अपने आराध्य के साथ गतिमान श्रद्धालुओं में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण की आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रवाहित हो रही थी। मार्ग में स्थान-स्थान पर ग्रामीण जनता को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर गतिमान थे। कहीं-कहीं विद्यार्थियों आदि को भी आचार्यश्री के आशीष का लाभ प्राप्त हुआ। धर्म संघ के कार्यकर्ता राजकुमार दक ने बताया कि सोमवार को अपनी धवल सेना के साथ राष्ट्रसंत आचार्यश्री महाश्रमण के आगमन का प्रसंग खिंवाड़वासियों को उत्साह व उमंग से ओतप्रोत बना रहा था। करीब चौदह किलोमीटर का विहार कर महातपस्वी आचार्य महाश्रमण जैसे ही खिंवाड़ा गांव की सीमा के निकट पधारे तो वहां प्रतीक्षा में खड़े सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु जनता ने बुलंद जयघोष से अभिनंदन किया। अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री खिंवाड़ा गांव के अंदर की ओर पधारे। मार्ग में एक स्थान पर श्रीराम चौक से खिंवाड़ा कृषि मण्डी की ओर जाने वाले मार्ग का नामकरण ‘आचार्यश्री महाश्रमणजी मार्ग’ किया गया था। जिसके पट्ट के अनावरण का प्रसंग था। आचार्यश्री ने वहां पधारकर मंगलपाठ का उच्चारण किया और संबद्ध लोगों ने उस पट्ट का अनावरण किया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री खिंवाड़ा में स्थित तेरापंथ भवन में पधारे।धर्म संघ कार्यकर्ता राजकुमार दक ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनता को आचार्यश्री महाश्रमण ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि ध्यान दुनिया में प्रसिद्ध है। दुनिया में अनेक नामों से ध्यान-योग की पद्धतियां संचालित हैं। ध्यान का मानव जीवन में बहुत महत्त्व है। जैसे शरीर में शीर्ष का महत्त्व है और वृक्ष में मूल का महत्त्व होता है, उसी प्रकार साधु धर्म में ध्यान का महत्त्व होता है। चित्त की एकाग्रता और स्थिरता है तो कार्य अच्छा हो सकता है। एकाग्रता है तो कोई भी कार्य अच्छा हो सकता है। आदमी जो भी कार्य करता है, उसका उसी कार्य में रहे तो वह भी ध्यान हो जाता है। किसी भी कार्य में एकाग्रता रहे तो वह कार्य सफल बन सकता है। आदमी को अपने जीवन में ध्यान का अभ्यास करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को प्रत्येक कार्य के साथ ध्यान को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की भी मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए समुपस्थित जनता व विद्यार्थियों को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति के संकल्प स्वीकार कराए। आचार्यश्री ने कहा कि हमारा पहले भी खिंवाड़ा आना हुआ था और आज आना भी हो गया। आचार्यश्री तुलसी भी खिंवाड़ा पधारे थे। खिंवाड़ा में धर्म-अध्यात्म का प्रभाव रहे, मंगलकामना। आचार्यश्री के स्वागत में खिंवाड़ा के तेरापंथी सभा के अध्यक्ष महेन्द्र खांटेड़ व निवर्तमान अध्यक्ष अमृतलाल खांटेड़ ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने स्वागत गीत का संगान किया। पाली के पूर्व विधायक ज्ञानचंद पारख ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। सरपंच श्रीपाल वैष्णव, एसडीए शिवाश जोशी, व्यापार मण्डल अध्यक्ष कांति सुथार, महेन्द्र बोहरा, आदि ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
