Bagoda। सरकार एंव राजस्व विभाग खेतों में निवासरत परिवारों को आवागमन में रास्ता खोलने के प्रयासरत हैं, लेकिन आजादी के दशकों बाद भी गांवों में स्थित खातेदारी खेतों में आज भी कई परिवारों को चलने में नारकीय जीवन जीना पड़ रहा है। यह हालात हैं लाखनी ग्राम पंचायत के कुछ गरीब तबके के परिवारों का।
उपखंड मुख्यालय से 16 किमी दूर लाखनी ग्राम पंचायत के पाता की ढाणी गांव से दो किमी दूर खेतों में जाने के लिए रास्ता है लेकिन इस मार्ग से लगती राजस्व विभाग की सरकारी भूमि पर लाखनी निवासी कुछ लोगों ने अपनी लाठी के दम पर खसरा नम्बर 111 व 135 में अवैध कब्जा कर रखा है जिसमें भी कोई पैदल तक नहीं चल सकता है।
ऐसे हालात में लाखनी निवासी पारसाराम (75 साल) पुत्र फुलाराम माली के खेत खसरा नंबर 160 जो 0.57 हैक्टेयर भूमि में से पहले पास ही आई 91 की खाली जमीन व अन्य के खेतों में होकर चलते थे लेकिन अब हालात यह है कि पीड़ित द्वारा दो वर्ष से एसडीएम कोर्ट बागोड़ा में रास्ते के लिए दावा कर रखा है जो प्रकरण विचाराधीन है।
अब बारिश का मौसम आते ही खातेदारों ने फसल बुवाई में पगडंडी आदि थे उन्हें भी बंद कर दिया है। ऐसे में सरकारी जमीन में होकर आने जाने के अलावा कोई जरिया भी नही है। मगर उस खसरों पर भी अवैध कब्जा कर रखा है। इतना ही नहीं पारसाराम व उसके विधवा पुत्रवधू चोथी देवी का परिवार पशु धन पर आश्रित है।
गौतम कुमार माली ने बताया कि उसके परिवार में पिता हार्ट पेशेंट है और एक भाई खुशाल की 10 वर्ष पूर्व मौत होने के बाद घर परिवार की जिम्मेदारी भाभी चोथी देवी पर है। उसके तीन लड़की व एक बच्चा 14 वर्ष का है जो अपने परिवार का पालन-पोषण पशुपालन पर निर्भर है। मगर पशुओं के आहार, घरेलू खाद्य सामग्री यहां तक की कोई बिमार हो तो उसे लाने ले जाने में कोई रास्ता तक नहीं है और जो चलते थे वो मार्ग भी 4 दिनों से बंद कर रखा है।
यही हालात पास ही आए खातेदारी खेतों में निवासरत पारसाराम निंबाराम, परखा राम पुत्र सभी भडाराम जाति गर्ग, भीखाराम, प्रवीण पुत्र कोला राम गर्ग, तलोका राम पुत्र प्रभू राम गर्ग व सांवला राम पुत्र शंकरा राम जाति गर्ग अपने खेतों में परिवार सहित निवासरत है। उनका भी आरोप है की हम निरक्षर और गरीब तबके में जीवन यापन को मझबूर है। सरकार या पंचायत द्वारा कोई सुध तक नहीं ले रहें हैं आमदनी नहीं होने से कोर्ट कचहरी जा नहीं सकते हैं। ऐसे में रास्ते के अभाव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर है।
पढ़ाई के लिए 15 बच्चों को राउता जाना मजबूरी
भीखाराम ने बताया है कि उनके खेत से पाता की ढाणी गांव की स्कूल डेढ़-दो किमी है लेकिन सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर कब्जाने से कोई रास्ता तक नहीं है। ऐसे में सरहद राउता के खेतों में होकर हाथा जोड़ी कर पैदल पांच किमी राउता अपने व अन्य 15 बच्चों को सरकारी विद्यालय पढ़ाने भेजना पड़ता है।
सुबटी देवी पत्नी सांवला राम गर्ग ने आरोप लगाया है कि शासन प्रशासन द्वारा हम गरीबों की कोई सुनवाई नही हो रही है। मेरे परिवार में मृत्यु होने पर दाह संस्कार में शव ले जाने के लिए रास्ता तक नहीं था और अब भी खेत में से बाहर निकलने में कोई मार्ग नहीं मिल रहा है। ऐसे में अकस्मात कोई बिमार व प्रसव पीड़ा हो तो साधन नहीं आ जा सकता है।
वही, बागोड़ा तहसीलदार मोहन लाल सियोल का कहना है कि लाखनी में एक पीड़ित का रास्ते को लेकर दावा एसडीएम कोर्ट में विचाराधीन है और यदि कोई और परिवारों को आने जाने में रास्ते की परेशानी हैं तो में जानकारी लेता हूं।
रिपोर्ट – रिड़मलदान राव