कोरोना की दवा बनाने वाली ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफेक्ट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका वकील विशाल तिवारी ने लगाई है।
इस याचिका में कहा गया है कि कोवीशील्ड के साइड इफेक्ट्स की जांच करने के लिए एक एक्सपर्ट पैनल बनाया जाए। इस पैनल में AIIMS के डॉक्टर शामिल किए जाए। इसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें।
इसके अलावा याचिका में यह भी मांग की गई है कि जिन लोगों को इस वैक्सीन की वजह से कोई बीमारी या मौत हुई, इन सभी मामलों में सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाए। बता दे कि यह याचिका एस्ट्राजेनेका के यह स्वीकारने के बाद लगाई गई है कि कोविड-19 वैक्सीन के कुछ दुर्लभ साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं।
दरअसल यह पूरा मामला ब्रिटिश की एक कोर्ट में चले केस से शुरू हुआ है। कोट में वैक्सीन निर्मित कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना कि दुर्लभ केसों में ब्लड क्लॉटिंग की दिक्क्त हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट् के मुताबिक, भारत में कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड को लेकर मचे बवाल के बीच इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के पूर्व वैज्ञानिक रमन गंगाखेड़कर ने जानकारी देते हुए बताया कि लोगों को डरने की जरुरत नहीं है। उन्होंने बताया कि कोविशील्ड का टिका लेने वाले 10 लाख लोगों में से 7 या 8 लोगों को थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है।
रमन गंगाखेड़कर ने बताया कि पहली खुराक लेने बाद खतरा अधिक होता है। वही दूसरी डोज के साथ कम हो जाता है और तीसरे डोज के साथ यह और कम हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई दुष्प्रभाव होना है, तो यह शुरुआती 2 से 3 महीनों के अदंर आपके बॉडी में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगेंगे।
खबरों के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर इस वैक्सीन को डेवलप किया था। वही, भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया था। इस वैक्सीन का नाम कोविशील्ड रखा गया।