“सृजनिका” द्वारा काव्य पाठ और विमर्श की संगोष्ठी में हुई सार्थक साहित्यिक चर्चा

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मुंबई। मुंबई से प्रकाशित प्रमुख साहित्यिक पत्रिका “सृजनिका” की ओर से “काव्य पाठ और विमर्श” की संगोष्ठी का आयोजन शुक्रवार, 29 मार्च, 2024 को मुंबई विश्वविद्यालय के कलीना परिसर स्थित जे पी नाईक सभागार में आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह में सम्पन्न हुआ। बड़ी संख्या में उपस्थित साहित्यकारों, साहित्यकारों, साहित्यप्रेमियों और विद्यार्थियों के समक्ष डॉ दीपा, संतोष कुमार झा तथा राजेश कुमार सिन्हा ने अपनी सद्य प्रकाशित काव्य पुस्तकों क्रमशः “दीपांजलि”, “फूल, कलम और बंदूक़” एवं “मेरे ख़्वाबों का शज़र” की चयनित कविताएँ सुनाईं और उनके काव्य सृजन की समीक्षा विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत की गई।

नई दिल्ली से आई सुपरिचित कवयित्री डॉ दीपा की कविताओं की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए हिंदुस्तान पेट्रोलियम की वरिष्ठ प्रबंधक आरती जड़िया ने कहा कि इनकी रचनाएँ पढ़कर मैं बहुत भावुक हो गई। पिता के सम्बंध को लेकर और सम्बंधों की प्रगाढ़ता पर केंद्रित कविताओं को पढ़कर यह लगता है कि डॉ. दीपा जैसी संवेदनशील कवयित्री अपनी भावनाओं के धरातल पर सरल भाषा में कविता रचती हैं, तो पाठक उसे तुरंत स्वीकार कर लेते हैं।

आरती ने आगे कहा कि समाज में स्त्रियों की दशा, प्रेम की सहज अभिव्यक्ति और सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों पर भी कवयित्री ने अपनी पुस्तक “दीपांजलि” में प्रवाहपूर्ण कविताएँ लिखी हैं। जाने-माने मंच प्रस्तोता और “सृजनिका” के सह सम्पादक आनंद प्रकाश सिंह ने अपने अनूठे एवं उम्दा अंदाज में कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने सुप्रसिद्ध कवि और कोंकण रेलवे के निदेशक संतोष कुमार झा की पुस्तक “फूल, कलम और बंदूक़” में संकलित कविताओं पर अपनी टिप्पणी व्यक्त करते हुए कहा कि संतोष जी की रचनाओं पर दृष्टि डालें तो ये कविताएँ स्वतः हृदय में उतर जाती हैं तथा पूरे शरीर की रक्त-शिराओं में व्याप्त हो जाती हैं और फिर, उनकी कविताएँ उनकी नहीं, अपनी लगने लगती हैं। सरल भाषा और धारदार अभिव्यक्ति के साथ संतोष जी उच्च श्रेणी के कवियों की पंक्ति में शुमार हैं।

सुप्रसिद्ध शिक्षाविद और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दयानंद तिवारी ने संतोष कुमार झा की कविताओं पर समीक्षात्मक सम्बोधन देते हुए कहा कि “फूल, कलम और बंदूक़” काव्य संग्रह में संकलित कविताएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को उत्कृष्ट ढंग से व्याख्यायित करती हैं। “नेम प्लेट” कविता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कवि ने इस कविता के माध्यम से इस सच्चाई को कुशलतापूर्वक दर्शाया है कि महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत व्यक्ति सरल और सहज रहते हुए कार्य करे, तो ही वह समाज में अनुकरणीय बन पाता है अन्यथा पद से हटने के उपरांत उसकी पहचान समाप्त हो जाती है।

मुंबई विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर वर्ष के छात्र सर्वेश यादव ने पूरी तैयारी के साथ राजेश कुमार सिन्हा के काव्य संकलन “मेरे ख़्वाबों का शज़र” पर अपनी समीक्षा प्रस्तुत की। उपस्थित दर्शकों ने इस विमर्श प्रस्तुति के लिए सर्वेश यादव की मुक्त कंठ से से सराहना की और कहा कि उन्होंने पूरी सजगता और प्रतिबद्धता से राजेश कविताओं की समीक्षा तैयार की है। इस अवसर पर शायर और गजल गायक जब्बार हुसैन ने बेहतरीन अंदाज में अपनी गजल सुनाई और श्रोताओं का मन मोह लिया। लोकप्रिय कवयित्री श्वेता चतुर्वेदी की कविताओं को भी काफी पसंद किया गया।

दूरदर्शन से सम्बद्ध एवं राष्ट्रपति द्वारा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित शैलेश श्रीवास्तव ने होली पर अपने विशेष गीत को उल्लसित अंदाज में गाकर दर्शकों का मन मोह लिया। इस मौके पर हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अधिकारी एवं कवि उत्कर्ष के काव्य संग्रह “पूर्वाह्न” का विमोचन भी किया गया। उन्होंने भी अपनी कविताएँ पढ़ीं। कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए “सृजनिका” के सम्पादक और वरिष्ठ लेखक डॉ. अमरीश सिन्हा ने कहा कि रचनाकारों में साहित्य चेतना की अग्नि प्रज्वलित रखने के लिए ऐसी संगोष्ठियों का आयोजन सृजनिका के संकल्पों में शामिल है l

उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम की ओर से इस संगोष्ठी में शामिल सभी रचनाकारों की काव्य पुस्तकों की प्रतियाँ ख़रीदकर मुंबई विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में इस अवसर पर वितरित की गईं। सभी छात्र-छात्राएँ “सृजनिका” के इस अभिनव प्रयास से अति प्रसन्न हुए और पत्रिका के उज्ज्वल भविष्य के लिए सभी ने हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।

समारोह की शुरुआत डॉ. रोशनी किरण द्वारा प्रस्तुत गणेश एवं सरस्वती वंदना से हुई।अंत में लोकप्रिय गृह पत्रिका “रेल दर्पण” के निवर्तमान वरिष्ठ सम्पादक, सुपरिचित कवि, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य और “सृजनिका” के मीडिया एवं जनसम्पर्क सलाहकार गजानन महतपुरकर ने अपनी बेजोड़ शैली में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ हूबनाथ पांडेय, आलोक चौबे, मोनिका सिन्हा, तुषार सिन्हा, साहित्यकार रीमा सिंह, शुभम श्रीवास्तव, सदानंद चितले, सतीश धुरी, प्रिया पोकले, श्रेया काकड़े एवं गोवा से पधारे सतीश धुरी सहित शहर के कई सक्रिय लेखक और मुंबई विश्वविद्यालय के विभिन्न विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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