
दुनियाभर में “टर्बनड टॉरनेडो” और “सिख सुपरमैन” के नाम से प्रसिद्ध 114 वर्षीय बुजुर्ग मैराथन रनर फौजा सिंह (Fauja Singh) का सोमवार को पंजाब के जालंधर जिले में एक दर्दनाक सड़क हादसे में निधन हो गया। वे अपने गांव ब्यांस में सड़क पार कर रहे थे, तभी एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित कई प्रमुख नेताओं और खेलप्रेमियों ने फौजा सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने सोशल एक्स (X) पर लिखा, “फौजा सिंह जी अपनी विलक्षण व्यक्तित्व और फिटनेस के प्रति युवाओं को प्रेरित करने वाले जज़्बे के कारण अद्वितीय थे। उनके निधन से गहरा दुख पहुंचा है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनियाभर के चाहने वालों के साथ हैं।”
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन्हें “सिख समुदाय की शान” बताया और कहा कि फौजा सिंह की प्रेरणादायक दौड़ हमेशा दिलों में जीवित रहेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, “दुनिया ने एक जीवंत प्रेरणा को खो दिया है। उनका जीवन अदम्य जज़्बे और असाधारण धैर्य का प्रतीक था।”
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “खेल जगत का एक महान नायक अब हमारे बीच नहीं रहा, लेकिन उनका जुनून आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।”
पंजाब विधानसभा में भी श्रद्धांजलि
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन फौजा सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। संसदीय कार्य मंत्री रवीजोत सिंह ने श्रद्धांजलि प्रस्ताव रखा जिसे स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने पढ़ा और फौजा सिंह के जीवन को प्रेरणादायक बताया।
परिवार कर रहा अंतिम संस्कार की तैयारी
फौजा सिंह के बेटे हरविंदर सिंह ने बताया कि अंतिम संस्कार उनके बच्चों के यूके और कनाडा से लौटने के बाद किया जाएगा। उन्होंने कहा, “पिता जी बिल्कुल स्वस्थ थे। हम उन्हें हाईवे पर वॉक करने से मना करते थे लेकिन वह अपनी दिनचर्या कभी नहीं छोड़ते थे। हमें कभी नहीं लगा था कि उनका अंत ऐसे होगा।”
पुलिस कर रही जांच
हादसे के बाद उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां शाम तक उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका। पुलिस सीसीटीवी फुटेज की मदद से उस अज्ञात वाहन की पहचान करने की कोशिश कर रही है जिसने उन्हें टक्कर मारी।
एक अद्वितीय जीवन यात्रा
फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को जालंधर जिले के ब्यांस गांव में हुआ था। जीवनभर शाकाहारी रहे सिंह ने 1992 में अपनी पत्नी के निधन के बाद ईस्ट लंदन (यूके) में बसने का निर्णय लिया। 1994 में बेटे की मृत्यु से टूटे फौजा सिंह ने दौड़ को अपना सहारा बनाया। उन्होंने 89 वर्ष की उम्र में 2000 में लंदन मैराथन में भाग लिया और इसके बाद टोरंटो, न्यूयॉर्क सहित कई शहरों में दौड़ पूरी की।
उन्होंने 100 वर्ष से ऊपर की आयु श्रेणी में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। उनका मानना था कि दौड़ न केवल शारीरिक व्यायाम है बल्कि मानसिक दुख को हराने का सबसे अच्छा माध्यम भी है।
फौजा सिंह भले ही अब हमारे बीच न हों, लेकिन उनका जीवन, जुनून और जज़्बा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा — कि उम्र कभी भी हौसले की सीमा नहीं होती।