राघव से सीखें पिता की आज्ञा का पालन करना : आचार्य शास्त्री

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विरार।पिता की आज्ञा का पालन कैसे करना चाहिए प्रभुराम से सीख लेनी चाहिए। अपने पिता दशरथ की आज्ञा के पालन हेतु भगवान श्रीराम ने राजपाठ छोड़कर तपस्वी का भेष बनाकर चौदह वर्ष वन में रहने के लिए चले गए। जीवदानी माता के निकट, सहकर नगर, विरार पूर्व में चल रही श्रीराम कथा का रसपान कराते हुए यह बातें अयोध्या के प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य करण शास्त्री महाराज ने अपने मधुर मुखारविंद से कही।

चैनलों पर देखे जा सकते प्रसारित धार्मिक कार्यक्रम

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनलों पर अयोध्या से प्रसारित कोई भी धार्मिक कार्यक्रम में देखे जा सकते हैं। दोनों महाराज जन्मदिवस के अवसर पर कथा श्रवण करने पहुंचे प्रसिद्ध ज्योतिषी ज्योतिष गुरू पंडित अतुल और वरिष्ठ पत्रकार एच.पी तिवारी ने शॉल ओढ़ाकर बधाई दी। महाराज ने प्रसाद स्वरूप रामलला की दिव्य तस्वीर से दोनों का स्वागत किया। अतुल शास्त्री जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि जब भी जीवन में किसी बड़ी उपलब्धि पर मन में गर्व आए तो श्रीराम की विनम्रता को याद कर लेना।

रामकथा का छठा दिन

‘द जानकी फाउंडेशन एवं बहुजन विकास आघाड़ी महिला स्लमसेल’ द्वारा आयोजित रामकथा के छठे दिवस पर शास्त्री ने राम बनवास, केवट प्रसंग का बहुत ही सुंदर गुणगान किया। सैकड़ों की तादात में आए रामभक्त संगीतमय कथा से झूम उठे। यज्ञाचार्य अर्जुन शास्त्री द्वारा पूजन विधि किया जा रहा है।

मुख्य यजमान उपेन्द्र सिंह है। महाराज करन शास्त्री ने संदेश दिया कि जिस तरह वायुमंडल में हवा रहती है परंतु हमें एहसास तो होता है पर दिखाई नहीं देती और जब गर्मियों में पंखा चलाते हैं तो हमें ठंडक का अधिक एहसास होता है। ठीक उसी तरह हर जगह भगवान का वास है और जब हम मंदिर ,धार्मिक स्थल या सत्संग और संतवाणी सुनते हैं तो हमारा मन एकाग्रचित्त होकर ईश्वर में और अधिक लगता है। अयोध्या के करण और अर्जुन सगे जुड़वा भाई हैं।

राम और कृष्ण में अंतर

श्री राम और कृष्ण दोनों में मात्र इतना अंतर है कि जहां कृष्ण अपने प्रभाव से जाने जाते हैं, वही श्रीराम अपने सरल शील स्वभाव से जाने जाते हैं। उन्होंने समाज में मर्यादाएं कायम की। आयोजक मंडल ने बताया कि कथा का शुभारंभ 14 अप्रेल को भव्य कलश यात्रा निकाल कर की गई। हज़ारों लोगों ने इस यात्रा में शामिल हुए। 21 अप्रेल को राम राज्याभिषेक, हनुमानचरित्र , हवन, पूर्णाहुति और महाभंडारे के साथ कथा का विश्राम होगा। लोगों से कथा लाभ लेने की अपील की जा रही है।

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