जोधपुर लोकसभा : कांग्रेस का रहा जलवा, अब भाजपा का भगवा

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सूर्यनगरी जोधपुर का अपना एक गौरवशाली इतिहास है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह गृह जिला है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों से यहाँ भाजपा का जलवा है। बीते 16 वर्षों में यहां लोकसभा के 4 चुनाव हुए हैं और इनमें कांग्रेस एक बार जबकि भाजपा को तीन चुनावों में विजयश्री मिली है। इस सीट के चुनावी इतिहास को देखें तो साल 1952 में अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर स्वंतत्र प्रत्याशी जसवंत राज मेहता पहली बार सांसद बने थे। वे 1957 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। हालांकि 1962 के चुनाव में यहां से स्वतंत्र उम्मीदवार लक्ष्मीमल सिंघवी को जीत मिली।

वहीं 1967 में कांग्रेस के नरेंद्र कुमार सांधी तो 1971 में स्वतंत्र उम्मीदवार कृष्णा कुमारी को विजयश्री मिली। 1977 के चुनाव में यहां से जनता पार्टी के टिकट पर रणछोड़ दास गट्टनी सांसद बने। वहीं 1980 में कांग्रेस के टिकट पर अशोक गहलोत पहली बार यहां से चुनाव लड़े और लगातार दो चुनाव जीते। हालांकि 1989 के चुनाव में वह उन्हें भाजपा के जसवंत सिंह से हार मिली। 1991 के लोकसभा चुनाव में अशोक गहलोत ने वापसी की तथा 1996 व 1998 के चुनाव में भी उन्होंने अपना दबदबा कायम रखा।

1999 के चुनाव में यहाँ से भाजपा के जसवंत विश्नोई निर्वाचित हुए और उन्होंने 2004 में भी यहाँ से जीत दर्ज की। हालांकि 2009 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी यहां से विजयी हुई, लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में लगातार दो बार जीतकर बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत यहां से सांसद बने। भाजपा ने इस सीट से हैट्रिक लगाने के उद्देश्य से गजेंद्र सिंह शेखावत पर एक बार फिर से विश्वास जताया है।

जोधपुर से जो जीता वो सिकंदर

जोधपुर लोकसभा सीट बहुत लकी मानी जाती है। इस सीट को लेकर माना जाता है कि जो भी यहां से जीता है। उसको दिल्ली में बड़ा पद मिलता है। जोधपुर लोकसभा सीट पर पिछले 72 साल में 17 चुनाव हो चुके हैं। यहाँ की जनता ने अब तक 11 चेहरों को जीताकर संसद भेजा है, जिनमें से 6 नए चेहरे थे, तो पांच जाने पहचाने चेहरे थे। जोधपुर लोकसभा सीट से जीतकर जाने वाले सांसद वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, संस्कृति मंत्री, कृषि मंत्री व जलशक्ति मंत्री बने हैं। वर्तमान सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत 2014 में यहाँ से पहली लोकसभा चुनाव जीते और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री बने। वहीं 2019 लोकसभा में चुनाव जीतने के बाद उन्हें जल शक्ति मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला।

इनके अलावा यहां से सांसद रहे यहाँ से पांच बार सांसद रहे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार में तीन बार मंत्री रहे। वे केंद्र सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री, खेल उपमंत्री, केन्‍द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री एवं केन्‍द्रीय कपड़ा राज्‍य मंत्री रहे। वहीं भाजपा सांसद जसवंत सिंह जसोल विदेश मंत्री व वित्त मंत्री तथा कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी संस्कृति मंत्री रहीं हैं।

हैट्रिक लगाएंगे गजेंद्र सिंह शेखावत!

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से मौजूदा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत पर एक बार फिर से विश्वास दिखाया है। इस सीट से दो बार से सांसद होने के अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री और भाजपा, किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। शेखावत ने ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस पार्टी का गढ़ माने जाने वाले जोधपुर निर्वाचन क्षेत्र से 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक कौशल का प्रमाण दे दिया है।

2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से पांच बार के सांसद तथा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत 2.74 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराकर इस सीट पर दूसरी बार जीत दर्ज कर अपनी सीट का बचाव किया था। उल्लेखनीय है कि शेखावत ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मंत्री तथा कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रेश कुमारी कटोच को 4,10,051 वोट के रिकॉर्ड-तोड़ अंतर से हराया था। अब 2024 का लोकसभा चुनाव में शेखावत जोधपुर निर्वाचन क्षेत्र में हैट्रिक लगाने के लक्ष्य के साथ फिर से चुनावी रणक्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ जुटे हुए हैं।

कांग्रेस से करण सिंह को कमान

कांग्रेस ने राजपूत कार्ड खेलते हुए इस लोकसभा चुनाव में करण सिंह को मैदान में उतारा है। करण सिंह उचियारड़ा जोधपुर के ही रहने वाले हैं। इस इलाके में उनके समाज का वर्चस्व भी है। ऐसे में कांग्रेस को यह लगता है कि उसका फायदा करण सिंह को और उनकी पार्टी को मिलेगा। यही कारण है कि बाहरी और स्थानीय का मुद्दा इस चुनाव में उठाया जा रहा है। करण सिंह 20 सालों से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, लेकिन जब सचिन पायलट कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो उनका कद बढ़ा। उन्हें प्रदेश सचिव बनाया गया। 55 साल के उचियारड़ा नाडोल स्थित राज राजेश्वरी आशापूर्णा मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं।

इससे पहले वे जोधपुर बिल्डर्स एंड डेवलपर्स एसोसिशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। करण सिंह ने करियर की शुरुआत जालोर में सरकारी नौकरी के तौर पर कंपाउंडर के रूप में की थी। कुछ समय बाद उन्होंने जालोर में ही आशापूर्णा के नाम से अपनी रियल स्टेट की कंपनी खोल ली। कुछ समय बाद उन्होंने जोधपुर में अपने प्रोजेक्ट शुरू किए। इसके बाद उन्होंने राजनीति की ओर रूख किया और कांग्रेस से जुड़ गए। उनके स्थानीय और राजपूत होने सहारे कांग्रेस अपनी जीत के लिए पूरी ताकत लगा रही है।

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